Surah Takasur In Hindi । सूरह तकासुर हिन्दी में

Surah Takasur:- प्यारे दोस्तों अस्सलाम अलैकूम - दोस्तों सूरह अत तकासुर मक्का में नाजिल हुई। इसमें आठ आयतें हैं और यह कुरान पाक के 30 वें पारे में है । इसमें बहुत सी चीजों के बारे में बताया गया है । सूरह तकासुर हिन्दी और अरबी में तर्जुमा के साथ लिखा गया है। यह कुरआन मजीद की बहुत ही छोटी सूरह हैं। आप सूरह तकासुर को ओडियो फ़ाइल में डाउनलोड कर सकते हैं। और आनलाइन Mp3 में सुन भी सकते हैं। तो चलिए सूरह तकासुर को हिन्दी में तर्जुमा के साथ पढ़ते हैं।

Surah Takasur In Hindi । सूरह तकासुर हिन्दी में

Surah Takasur Mp3 । सूरह तकासुर ओडियो में सुनें और डाउनलोड भी करे 




Surah Takasur In Hindi । सूरह तकासुर हिन्दी में


बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम


अलहा कुमुत्त तकासुर (1)
हत्ता ज़ुरतुमुल मकाबिर (2)
कल्ला सौफ' तअ'लमून (3)
सुम्मा कल्ला सौफ' तअ'लमून (4)
कल्ला लौ तअ'लमून इलमल यकीन (5)
ल त र उन्नल जहीम (6)
सुम्मा ल त र उन्नहा ऐनल यकीन (7) 
सुम्मा लतुस अलुन्ना यौ मैईजिन अनिन नईम (8)


Surah Takasur in Hindi Arabic with Tarzuma । सूरह तकासुर हिन्दी अरबी और तर्जुमा 

बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम

بِسۡمِ ٱللَّهِ ٱلرَّحۡمَٰنِ ٱلرَّحِيمِ
अल्लाह के नाम से जो रहमान व रहीम है

(1) अलहा कुमुत्त तकासुर

أَلْهَىٰكُمُ ٱلتَّكَاثُرُ
तुम्हें ज्यादा (माल) की लालच ने मग्न कर दिया ।

(2) हत्ता ज़ुरतुमुल मकाबिर

حَتَّىٰ زُرْتُمُ ٱلْمَقَابِرَ
यहाँ तक कि तुम क़ब्रिस्तान तक जा पहुँचे ।

(3) कल्ला सौफ' तअ'लमून

كَلَّا سَوْفَ تَعْلَمُونَ
अवश्य ही तुम्हें मालूम हो जाएगा ।

(4) सुम्मा कल्ला सौफ' तअ'लमून

ثُمَّ كَلَّا سَوْفَ تَعْلَمُونَ
फिर (जान लो) अवश्य ही तुम्हें मालूम हो जाएगा ।

(5) कल्ला लौ तअ'लमून इलमल यकीन

كَلَّا لَوْ تَعْلَمُونَ عِلْمَ ٱلْيَقِينِ
हकीकत में, यदि तुम्हें अंजाम का यकीन होता (तो ऐसा न करते) ।

(6) ल त र उन्नल जहीम

لَتَرَوُنَّ ٱلْجَحِيمَ
तुम दोज़ख़ को जरूर देखोगे ।

(7) सुम्मा ल त र उन्नहा ऐनल यकीन

ثُمَّ لَتَرَوُنَّهَا عَيْنَ ٱلْيَقِينِ
फिर उसे यकीन की आंख से देखोगे ।

(8) सुम्मा लतुस अलुन्ना यौ मैईजिन अनिन नईम

ثُمَّ لَتُسْـَٔلُنَّ يَوْمَئِذٍ عَنِ ٱلنَّعِيمِ 
फिर तुमसे उस दिन नेअमतों के बारे में जरूर पूछताछ होगी ।

Surah Takasur In Arabic । सूरह तकासुर अरबी में।


بِسۡمِ ٱللَّهِ ٱلرَّحۡمَٰنِ ٱلرَّحِيمِ


(١) أَلْهَىٰكُمُ ٱلتَّكَاثُرُ
(٢) حَتَّىٰ زُرْتُمُ ٱلْمَقَابِرَ
(٣) كَلَّا سَوْفَ تَعْلَمُونَ
(٤) ثُمَّ كَلَّا سَوْفَ تَعْلَمُونَ
(٥) كَلَّا لَوْ تَعْلَمُونَ عِلْمَ ٱلْيَقِينِ
(٦)  لَتَرَوُنَّ ٱلْجَحِيمَ
(٧)  ثُمَّ لَتَرَوُنَّهَا عَيْنَ ٱلْيَقِينِ
(٨)  ثُمَّ لَتُسْـَٔلُنَّ يَوْمَئِذٍ عَنِ ٱلنَّعِيمِ





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