Shab e Qadr 2023 ( Laylat al-Qadr in Hindi ) | शब ए कद्र और की फजीलत और अहमियत।

अल्लाह तआला का फरमान है जो शख्स इमान और सवाब की नियत से शबे कद्र का कयाम करता है, उसके पिछले गुनाह माफ कर दिया जाता है।
अस्सलाम अलैकूम।
इस आर्टिकल में शबे कद्र और उसके फजाइल बयान किए जाएंगे। तो आर्टिकल को पुरा पढ़ें, और दोस्तों और परिवार वालों के साथ सेयर करे ताकि सभी इस शबे कद्र में खुब इबादत करे। और अपनी जगह जन्नत में बनाएं।

Shab e Qadr 2023 ( Laylat al-Qadr in Hindi ) | शब ए कद्र और की फजीलत और अहमियत।

शबे क़द्र और इस की रात की फजीलत (शबे क़द्र (Shab-E-Qadr) की फ़ज़ीलत हिंदी में)


Shabe Qadr Ki Fazilat - शबे कद्र की फजीलत।

लैलतूल कद्र रमजान उल मुबारक की आखरी दस ताक रातों में से एक निहायत ही बा-बरकत रात है, जिसे शबे कद्र यानी कदर और बरकत वाली रात के नाम से भी याद किया जाता है। कुरआन मजीद में इस रात का बयान सूरतूल कद्र में बयान किया गया है जिसका तर्जुमा ये है। "बेशक हमने कुरआन मजीद को कद्र की रात में नाजिल किया"। कद्र की रात 1000 महीनों से बेहतर है। इस रात अपने रब के हुक्म से फरिश्ते और रुहूल कुदस नाज़िल होती है। हर तरह का अमन खैर और सलामती लाते है। हत्ता की ये सिलसिला तुलुये फज्र तक जारी रहता है।
कुरान मजीद की एक सूरह में भी रब्बुल इज्जत ने फरमाया "हमने इसे बड़ी खैरो बरकत वाली रात में नाजिल किया है। कुरान मजीद के नजूल के बारे में बाज मुफस्सिरीन की राय ये हैं के नजूल ए कुरआन का सिलसिला इसी रात शुरू हुआ। बाज कहते है की ये फरिश्तों के जरिये वही के जरिए नाज़िल होता रहा।
हजरत आयशा सिद्दीका रजिअल्लाह तआला अन्हु, हजरत अब्दुल्लाह इब्ने अब्बास रज़ियल्लाह की रिवायत करता आहदीश में बयान किया गया है कि शबे कद्र रमजान मुबारक के आखिरी 10 दिनों में कोई रात है। गालीबन किसी मोअयन रात का तईउन वाजे तौर पर अल्लाह की तरफ से नहीं किया गया, ताकि लोग शबे कद्र की फजीलत से फायदा उठाने के लिए सिर्फ एक ही रात इबादत ना करें बल्कि मुख्तलिफ रातों में इस की तलाश जारी रखें, और इबादत करतें रहें। फ़िर रिवायात से भी मालूम होता है कि शबे कद्र हर साल इन ताक रातों मे होती है यानी कभी 27 रमज़ान तो कभी 21 रमज़ान , कभी 25 रमज़ान तो कभी 23, तो कभी 29 रमज़ान, मे होती है।
इमाम शाफ़ई फरमाते हैं, की ये रात घुमने वाली नहीं, बल्कि मोअयन है,

Shabe Qadr Ki Ahmiyat - शबे कद्र की अहमियत।

हजुरे अकरम सल्ललाहू अलैहि वसल्लम का इरशादे मुबारक है, कि मेरे उम्मत मे से जो मर्द या औरत ये ख्वाहिश करे कि मेरी क़ब्र नुर की रौशनी से मनौवर हो, उसे चाहिए कि माहे रमज़ान की शबे कद्र में कसरत के साथ इबादत करे। ताकि इस रात मोतबरिक की इबादत से अल्लाह तआला उसके नामे अमाल से बुराइयां मिटा कर नेकीया अता कर दे ।

Shabe Qadr Ki Namaz ka Tarika - शबे कद्र की नमाज का तरीका।

शबे कद्र की इबादत 70 हजार शब की इबादतों से अफ़ज़ल है, 21वी की रात को 4 रेकात नमाज ( दो,दो रेकात कर के पढ़ें), हर रकात मे सूरह फातिहा के बाद सूरह कद्र एक एक बार तिलावत कर के एक मर्तबा सूरह अखलास पढ़ें, फिर सलाम के बाद 70 मर्तबा दरूद शरीफ पढ़ें।
इस इबादत से अल्लाह तआला नमाज़ी के सारे गुनाह माफ कर देते हैं। और अगले साल तक उसपर अपनी ख़ास रहमतों और बरकते नाजिल करते हैं।

Ramadan ki Barkatain in Hindi 2023 | माह-ए-रमजान की बरकते।

रमज़ान की 23वी शब को 4 रेकात नमाज ( दो, दो रेकात कर के ) पढ़ें। और हर रेकात में सूरह फातिहा के बाद एक बार सूरह कद्र और तीन बार सूरह अखलास की तिलावत करे। नमाज के बाद अस्तगफार और दरूद शरीफ कसरत से पढ़ें।

रमज़ान मुबारक की 25वी रात को 4 रेकात नमाज ( दो, दो रेकात कर के ) पढ़ें। सूरह फातिहा के बाद सूरह कद्र एक बार और सूरह अखलास पांच मर्तबा हर रेकात में पढ़ें। सलाम के बाद कलमा तय्यब 100 मर्तबा और अस्तगफार 70 मर्तबा पढ़ें। ये नमाज और अमाल क़ब्र की अजाब से निजात दिलाने में अफ़ज़ल दर्जा रखतीं हैं।

रमज़ान मुबारक की 27वी रात को 12 रेकात ( 4 , 4, रेकात कर के ) नमाज पढ़ें। हर रेकात मे सूरह फातिहा के बाद एक मर्तबा सूरह कद्र और 15 मर्तबा सूरह अखलास की तिलावत करे । सलाम के बाद 70 मर्तबा अस्तगफार पढ़ें। अल्लाह तआला इस नमाज के पढ़ने से सवाबे अजिम अता फरमाते हैं।
रमज़ान मुबारक की 29वी रात को 4 रेकात नमाज ( दो, दो, रेकात कर के ) पढ़ें। हर रेकात में सूरह फातिहा के बाद सूरह कद्र एक बार, और सूरह अखलास तीन बार पढ़ें। फिर सलाम के बाद 70 मर्तबा " अलम नसर कह " की तिलावत करे। उसके बाद खुब दुआएं करना चाहिए, और अल्लाह तआला से ईमान की सलामती और अपने गुनाहों की मगफिरत की दुआ मांगे।

Sahbe Qadr Ki Dua - शबे कद्र में इन सूरह का तिलावत करे।

रमज़ान के 25वी रात को सूरह फतह, 27 की रात को सूरह हा मीम, और सूरह मुल्क। और 29 की रात को 7 मर्तबा सूरह वाकया की तिलावत करने से रिज्क में बरकत होती है।

Shabe Qadr Ki Nisaniya - शबे कद्र की निसानिया।

बाज आहदीश और कुछ सालेहीन के तजुर्बात के रोशनी में मालूम होता है यानी इस मखशुस रात मे फरिस्तो के नजुल की वजह से एक खास किस्म की सकुनियत महसूस होती है। दिलों पर रिकततारी होती है। इस रात के बाद सुबह को जब सूरज निकलता है तो चौधवी की चांद की तरह बगैर कीरनो का होता है। उस रात ज्यादा सर्दी या गर्मी का एहसास नहीं होता। बल्कि दरम्यानी होता है। ये रात खुली और रोशन होती है। इस रात आसमान के तारे टूट के इधर उधर नहीं जाते। बहरहाल नमाज़ी को इस रात बहुत ज्यादा राहत हासिल होती है ।

हज़रत अब्दुल्लाह बिन अब्बास रजिअल्लाहू अनुहू फरमाते हैं। कि एक मर्तबा हज़रत उमर रजिअल्लाहू अनुहू ने साहाबा से शबे कद्र के मुतालिक पुछा तो सब ने मुख्तलिफ जवाब दिया। तो आप ने अर्ज की रमज़ान की आखरी असरे की 7वी रात यानी 27वी शब है। क्योंकि अल्लाह तआला का पसंदीदा अदद 7 है। अल्लाह तआला ने 7 आसमान पैदा फरमाए, 7 जमीन बनाईं। इन्सान की तखलिक 7 दरजात में फरमाई। और 7 चीजें बतौर इसके गजा के लिए पैदा फरमाई।

 
"अल्लाह तआला हर मुसलमान को शबे कद्र की फजीलत से इस्तफादा हासिल करने तौफीक अता फरमाए"। आमीन।


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