Ramadan ki Barkatain in Hindi 2024 | माह-ए-रमजान की बरकते।

 अस्सलाम अलैकूम।

माहे रमज़ान इस्लामीक कैलेंडर का नौवा महीना है, रमज़ान के महीने में हर मुसलमान रोजा रखता है, ये महीना हर मुसलमान के लिए बहुत खास है, रमज़ान महीने कि बहुत सारी बरकते है आज वही हम बताने कि कोशिश कर रहे हैं,

Ramadan ki Barkatain in Hindi 2024 | माह-ए-रमजान की बरकते।

Ramadan ki Barkatain in Hindi 2023 | माह-ए-रमजान की बरकते।

Ramadan ki Barkatain in Hindi 2024 | माह-ए-रमजान की बरकते।

हदीस मुबारक में है की "रमज़ानसहरूल्लाह" रमजान अल्लाह तआला का महीना है जिससे पता चलता है की इस मुबारक महीने से रब अज्वजल का खुसूसी ताल्लुक है जिसकी वजह से ये मुबारक महीना दूसरे महीने से मुमताज़ और जुदा है। इस महा से खुसूसी ताल्लुक से मुराद ये हैं कि अल्लाह तआला की तजल्लियात खासा इस मुबारक माह मे इस दर्जा नाज़िल होती है गोया मूसलाधार बारिश की तरह बरसती रहती है। 

रमजानुल मुबारक को दस दस दिनों के तीन हिस्सों में बाँट दिया गया है

हदीस मुबारक में है की रमजान ऐसा महीना है इसकी पहले हिस्सा में अल्लाह तआला की रहमत बरसती है। इस मुबारक माहीने का दरम्यानी हिस्सा गुनाहों की मगफिरत का सबब है। और इस माह की आखिरी हिस्से में दोजख की आग से आजादी हासिल होती है। ईसी असरे मे लैलतूल कद्र ( शब-ए-कद्र ) भी आता है। ऐसा मानना है कि शबे कद्र की रात खुब इबादत करना चाहिए। शबे कद्र के बारे और जाने।

Ramadan Ki Fazilat| रमज़ान की फजीलत।

रसुल सल्ललाहू अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया कि रमजान की जब पहली रात होती है तो शैतान को बंद कर दिया जाता है। और मजबूत बांध दिया जाता है। और सरकशी जिन्नों को भी बंद कर दिया जाता है। और दोजख के दरवाजे बंद कर दिए जाते हैं। इसका कोई भी दरवाजा नहीं खोला जाता। और जन्नत के दरवाजे खोल दिए जाते हैं और इसका कोई भी दरवाजा बंद नहीं किया जाता। और एक आवाज देने वाला आवाज देता है नेकी के तालीब आगे बढ़ नेकी का वक्त है । और है बद्दी के चाहने वाले बदी से रुक जा और अपने नफ़स को गुनाहों से बाज रख। क्योंकि ये वक्त गुनाहों से तौबा करने का और उनको छोड़ने का है। और अल्लाह तआला के लिए है और बहुत से बन्दों को अल्लाह तआला दोजख की आग से माफ़ फरमाते हैं।

रोजा वह अजीम फरीजा है जिसको अल्लाह तआला ने अपनी तरफ से मनसूब फरमाया है। और कयामत के दिन अल्लाह तआला इसका बदला और अजर बगैर किसी वास्ते के बजात खुद रोजेदार को इनायत फरमाएंगे। चुनांचे हदीस कुदसी मे इरशाद है। रोजा मेरा है और मैं ही इसका बदला दूंगा। 
हुजूर अकरम सल्ललाहू अलैहि वसल्लम ने फरमाया है की रोजेदार के मुंह की बू अल्लाह ताला के नजदीक मुस्क की बू से ज्यादा पसंदीदा है। गोया रोजेदार अल्लाह ताला का महबूबा हो जाता है। की इसकी मुँह की बदबू भी अल्लाह ताला को पसंद और  खुशगवार होती है।

नबी करीम सल्ललाहू अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया की। जन्नत को शुरू साल से आखिरी साल तक रमजान मुबारक की खातिर सजाया जाता है। और खुशबू की धुनी दी जाती है। पस जब रमजान मुबारक की पहली रात होती है तो अर्श के नीचे से एक हवा चलती है। जिसका नाम मसीरा है। जिसके झोंकों की वजह से जन्नत के दरख्तों के पत्ते और जन्नत के दरवाजे के पल्ले बजने लगते हैं, जिस से ऐसी सुरीली आवाज निकलती है कि सुनने वाले ने इस से अच्छी आवाज कभी सुनी ही न हो। पस खुशनुमा आंखों वाली हुरे अपने मकानों से निकल कर जन्नत के बलाखानो में खड़ी हो कर आवाज देती है कि कोई है अल्लाह तआला की बारगाह में हमसे मंगनी करने वाला, ता कि हक तआला उसको हमसे जोड़ दे, फिर वही हुरे जन्नत के दरोगा से पूछतीं है कि ये कैसी रात है । वह लबैक कह कर जवाब देते हैं। ऐ खुबसूरत और खुबसिरत औरतें ये रमज़ानूल मुबारक की पहली रात है और हक तआला सान रिजवाना ( जन्नत के दरोगा ) से फरमाते हैं कि जन्नत के दरवाजे मुहम्मद सल्ललाहू अलैहि वसल्लम की उम्मत के रोजेदारों के लिए खोल दो, और जहन्नुम के दरोगा से फरमाते हैं मुहम्मद सल्ललाहू अलैहि वसल्लम की उम्मत के रोजेदारों पर जहन्नुम के दरवाजे बंद कर दो। और हज़रत जिब्राईल अलैहि सलाम को हुक्म होता है कि जमीन पर जा और सर्कस सयातीन को क़ैद कर उनके गले में तोक डाल कर दरिया में फेंक दो ताकि वो मेरे महबूब सल्ललाहू अलैहि कि उम्मत के रोजेदारों को खराब ना करें।

Ramadan Mubarak ki Ahmiat | रमजानुल मुबारक की अहमियत।

इस्लाम मजहब में पांच अरकानों में रोजा भी एक अरकान है रमजान ही वो पाक महीना जिसमे अल्लाह तआला ने अपनी पाक किताब यानि कुरआन ए करीम को अपने बन्दों की रहनुमाई के लिए इस जहाँ में नाजिल किया इसी रमजान के महीने में अल्लाह तआला दोजख के दरवाजे को बंद कर देता है और जन्नत के दरवाजे को खोल देता है और इसी पाक महीनो में सैतानो को जंजीरो में जकड कैद कर लिया जाता है |

Taraweeh| रमज़ान की तरावीह ।

तरावीह रमजान के महीने में पढ़े जाने वाली नमाज़ है, जिसे तरावी कहते है जो 20 रकत की होती है जो दो दो रकात कर के पढ़ी जाती है। तरावीह कि नमाज इशा कि नमाज के बाद सुरू होती है, और 20 रकात पढ़ी जाती है। इसमें पूरा कुरआन शरीफ सुना जाता है इस इबादत की नफिल इबादत की सुन्नतें मुअक्किदा कहा जाता है जान बूझकर तरावी की नमाज़ को छोड़ना बहुत बड़ा गुनाह है अगर आपके साथ किसी तरह की मज़बूरी है जैसे आपको बुढ़ापे की कमजोरी है या आप किसी बीमारी हालत से गुजर रहे है या आप सफर कर रहे है उनके लिए छूट है रमजान में पुरे महीने तरावी पढ़ने का हुक्म है| Taraweeh ki Dua! तारावीह की दुआं 

Roze ki Niyat (Duwa) | रोजा रखने की दुआ ( सेहरी की दुआ नियत )

व बिसवमी गदिन्न नवैयतु मिन शहरी रमज़ान ।

तर्जुमा - मैं रमज़ान के महीने में इस रोज़े की नीयत करता हु।


Eftar Ki Duwa | इफ्तार करने की दुआ ।


अल्लाहुम्मा इन्नी लका सुम्तु वा बिका आमंतु वा अलयका तवाक्कल्तू वा अला रिज़किका अफ्तर्तु।

तर्जुमा : ऐ अल्लाह तआला. मैंने तेरी रजा के लिए रोजा रखा और तेरी ही रिजकक पर इफ्तार रोजा किया.


अल्लाह तआला हमें इस माह-ए-मुबारक की सही कदर करने वाला बन्दा बना दे । आमीन।
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