Shab-e-Barat Kya hai । शबे बारात क्या है?
Shab e Barat kiya hai? इस्लाम धर्म में शाबान एक मुकद्दश महीनों में से एक है। शाबान महीने को हजरत मोहम्मद सलल्लल्लाहे अलैहे वसल्लम का महीना कहा जाता है।Shab e Barat 2024
सुन्नी मुसलमानों का मानना है कि इस दिन अल्लाह ने नूह के सन्दूक को बाढ़ से बचाया था। यही कारण है कि लोग इसे मनाते हैं। शिया मुसलमानों के बारहवें इमाम का जन्म हुआ था और रात को उनके जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है।
कुरान या हदीस में शब-ए-बरात कोई खास जिक्र नहीं है। हालांकि, विशेष रूप से दक्षिण एशिया में, बहुत से लोग रात का जश्न मनाते हैं, अल्लाह की इबादत करते हैं।
क्या आप इस प्रश्न का सही उत्तर जानना चाह रहे हैं? शब ए बारात को गुनाहों की माफी की रात कहा जाता है। एक रात की इबादत को एक हजार रात की इबादत के बराबर माना जाता है। आपको इस बार निम्नलिखित बातों पर जरूर ध्यान देना चाहिए।
कुरान या हदीस में शब-ए-बरात कोई खास जिक्र नहीं है। हालांकि, विशेष रूप से दक्षिण एशिया में, बहुत से लोग रात का जश्न मनाते हैं, अल्लाह की इबादत करते हैं।
Shab-e-Barat Kis Din hai । शब ए बारात किस दिन है
यह त्यौहार इस्लामी माह शाबान की 14वीं रात मगरिब की नमाज़ के साथ ही शुरू हो जाएगा। शब-ए-बरात की रात को बुलंदी रात कहा जाता है। ईशा की नमाज़ से सुबह के फज़र की नमाज़ तक इबादत करने का समय होता है। शब ए बारात किस दिन है, अब यह आप जान चुके होंगे।
वर्ष 2024 में शब-ए-बरात त्यौहार 25 या 26 फरवरी को हो सकता है। आइये जानते हैं शबे बरात की रात कौन सा इबादत करना चाहिए
Shab e Barat Ki Dua
Shab-e-Barat ki Raat me Kya Padhe । शब ए बारात की रात में क्या पढ़े?
क्या आप इस प्रश्न का सही उत्तर जानना चाह रहे हैं? शब ए बारात को गुनाहों की माफी की रात कहा जाता है। एक रात की इबादत को एक हजार रात की इबादत के बराबर माना जाता है। आपको इस बार निम्नलिखित बातों पर जरूर ध्यान देना चाहिए।
- जियारत
- कुरान पाक की तिलावत
- नफल व तहजुद की नमाज
- रोजा रखना
- कब्रिस्तान में फातिहा पढ़ना
- मगफिरत की दुआ
- सलातुल तस्बीह की नमाज
- कजा़ ए उमरी की नमाज़।
Shab e Barat Ki Namaz - शब ए बारात की रात में नफिल या कजा़ ए उमरी की नमाज़ पढ़ें
नफिल नमाज फर्ज नहीं है। यह एक सुन्नत है। अगर आप पढ़ लेंगे तो आपको इसका सवाब मिलेगा। अल्लाह ताला ने जो हमारे लिए पांच वक्त का नमाज़ मुकर्रर किये हैं, वह फर्ज है।
अगर फर्ज नमाज़ को समय पर ना पढ़ें तो, वह कजा़ हो जाती है। कजा़ नमाज हमें जरूर पढ़ लेनी चाहिए। पांच वक्त के सभी फर्ज एवं वितर नमाज़ की कजा़ जरूर पढ़ना चाहिए।
Shab e Barat Ki Fazilat
मान लें कि आप जब से बालिग हुए हैं। पिछले 10 सालों से आपके बहुत सारे नमाज कजा़ हुआ है। उसे पूरा करने के लिए कजा़ ए उमरी की नमाज पढ़ी जाती है।
याद रखें नफिल नमाज अगर आप नहीं पढ़ते हैं तो कोई गुनाह नहीं है। अगर आप पढ़ते हैं तो आपको सवाब मिलेगा। लेकिन आप फर्ज नमाज नहीं पढ़ते हैं तो आपको यकीनन गुनाह होगा।
इसीलिए बड़े मुस्लिम विद्वान कहते हैं कि शब ए बारात की रात में नफिल से ज्यादा कजा़ ए उमरी की नमाज़ को तर्जी देना चाहिए।
क्या शबे बरात की रात सलातुल तस्बीह की नमाज पढ़नी चाहिए
सलातुल तस्बीह की नमाज़ हदीस में कहा गया है कि आपको हर दिन पढ़ना चाहिए या कम से कम साल में एक बार जरूर ही पढ़ लेना चाहिए।
सलातुल तस्बीह की नमाज पढ़ने से गुनाह ए कबीरा व गुनाह शगीरा जैसे गुनाहों की माफी मिलती है। हम मुसलमानों को शबे रात की रात में सलातुल तस्बीह की नमाज़ जरूर पढ़नी चाहिए।
Shab-e-Barat Ka Roza Kab Hai । शब-ए-बरात का रोजा कब है?
शब-ए-बरात का रोजा कब है? अक्सर लोग इसको लेकर कंफ्यूजन रहते हैं। वर्ष 2024 में 25/26 फरवरी यानी माह शाबान की 15वीं तारीख को रोजा रखा जाता है। फज़र की अज़ान से पहले, सेहरी खाई जाती है।15वीं तारीख को कुछ लोग रोजा रखते हैं।
इस्लामी कैलेंडर के आठवीं महीने को शाबान कहते हैं। शाबान महीने के 15वीं की तारीख को रोजा रखा जाता है।
Masha Allah. Allah ka sukr hai Allah ne hame muslman bnaya
ReplyDeleteAlhamdulillah
DeleteShukriya
ReplyDeleteMasallah
DeleteNice
ReplyDeleteMashallah
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