Shab e Barat Ki Nafil Namaz in Hindi। शब ए बारात की नफील नमाज हिंदी में

Shab e Barat Ki Namaz- शब ए बारात।
इस रात में तमाम हजरात जागते हैं। गुनाहों से तौबा करते हैं, माफी तलाफी करते हैं, इबादत करते हैं, अल्लाह को राजी करते हैं। लेकिन कुछ हमारे भाई ऐसे भी होते हैं जो इस रात को नाम तो जागने का देते हैं, लेकिन उन्हें यह नहीं मालूम की रात जागने का मतलब क्या होता है। बहुत से लोग तो मस्जिद में आके नमाज़ अदा करते हैं, गुनाहों से तौबा करते हैं, लेकिन वहीं पर कुछ ऐसे नौजवान भी है की वो रात में गाड़ी। बाइक ले के निकल जाते हैं। कभी इस होटल पर चाय पीते, कभी उस होटेल पर चाय पीते, कभी यहाँ पार्टी करते, कभी वहाँ पार्टी करते और सुबह को सबको यही बता दे की रात हमने भी जागी है । यार ये रात जागना हो गया है। ये रात जागना नहीं होता है ना? जागना उसे कहते हैं कि आप रात मस्जिद में आये, नमाज़ अदा करें। गुनाहों से तौबा करें, माफी तलाफी करें, और पूरी रात आप इबादत करे। तो आइए हम आपको बताते है शबे बारात की नमाज का तरीका (shab e barat ki namaz ka tarika )

Shab e Barat Ki Nafil Namaz in Hindi। शब ए बारात की नफील नमाज हिंदी में


Shab e Barat Ki Namaz । शब ए बारात की नमाज

अवाबीन की नमाज। Awwabin Ki Namaz 


और इस बाबरकत रात में आपको मैं बताऊँ कि आप कुछ नमाजों का भी के एहतमाम करे। वो किस तरीके से और क्या अदा करें? वो भी आप सुने, सबसे पहले आप अवाबीन की नमाज़ अदा करें।

अवाबीन की नमाज की फजीलत। Awabeen ki Namaz ki Fazilat

नबी मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहे वसल्लम ने फ़रमाया “जो कोई मग़रिब के नमाज़ बाद उसी हालत में 6 रकात नफिल पढ़े तो उसे 12 साल की इबादत का सवाब मिलेगा” (Tirmizi 435 and Ibn majah 1167)

अवाबीन की नमाज़ कैसे पढ़ी जाती है। Awabeen Namaz ka trika

ये मगरिब की नमाज़ के बाद फौरन बाद 6 रकात नमाज़ होती है। हुज़ूर सल्ललाहू अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया की जो शख्स नमाजे मगरिब के बाद 6 रकात अवाबीन की नमाज अदा करता है और इस तरह अदा करता है के बीच में कोई बुरी बात न कहें तो अल्लाह रब्बुल इज्जत उसे 12 साल इबादत करने का सबाब अता फरमाते हैं।
सुब्हा-न-अल्लाह इतना ज़्यादा सबाब है माशाल्लाह। तो ये अवाबीन की नमाज़ 6 रकात अदा करें ।

कैसे अदा करेंगे आप नियत दो दो रकअत करके बांधे। नियत कोई अलग नहीं बांधी जाती है। कोई अलग तरीका नहीं है। नीयत दिल के इरादे का नाम है, बस आप दिल में इरादा कर ले । या जबान से कह दें कि मैं अवाबीन की नमाज़ पढ़ रहा हूँ। मैंने अवाबीन की नमाज़ की नियत की है। अब आपकी की नीयत भी हो गई।

आवाबीन की नमाज़ की नियत कैसे करें । Awabeen Namaz ki Niyat 

दोस्तों अगर आप 2 – 2 रकात करके पढ़ना चाहते है जैसे 2 रकात एक सलाम से पढेंगे फिर 2 रकात एक सलाम से इसी तरह छः रकात पढ़ना चाहते है तो नियत कुछ यु करे:

नियत की मैंने 2 रकात नमाज़ नफिल अव्वाबिन की वास्ते अल्लाह तआला के मुंह मेरा काबा शरीफ की तरफ अल्लाहु अकबर

इसी तरह कोई दोस्त 6 रकात एक ही नियत से और एक सलाम से पढ़ना चाहते है तो वह नियत कुछ यु करे:

नियत की मैंने 6 रकअत नमाज़ अव्वाबीन वास्ते अल्लाह तआला के रुख मेरा काबा शरीफ की तरफ अल्लाहु अकबर.

आवाबीन की नमाज पढ़ने का तरीका

अव्वाबीन एक नफिल इबादत है जिसको पढ़ने के लिए 2 तरीके बताये गए है जो आप आज सिखने वाले है आपको सबसे पहले वजू करके घर या मस्जिद यानि पाक साफ़ जगह पर मोसल्लाह बिछा दे.

क़िबला रुख खड़े होकर नियत करे जिसका तरीका ऊपर बताया गया है यहाँ पर आपको समझना है आप एक साथ 6 रकात पढ़ना चाहते है या 2 – 2 रकात करके.

यह नमाज़ पढ़ने के लिए कोई खास तरीका नहीं है बलके नार्मल नामजो की तरह भी इसी को पढ़ा जाता है हम सबसे पहले 2 रकात कैसे पढ़ते इसी को सीख लेते है.

नियत करने के बाद सना और सूरह फातिहा और कुरान शरीफ की कोई सूरह मिलाए फिर नार्मल नामजो की तरह रुकू और सजदा करे.

दूसरी रकात में सना नहीं पढ़ना है सिर्फ सूरह फातिहा और एक सूरत मिलाए फिर रुकू सजदा करे फिर बैठ कर अत्तहियात, दरूद शरीफ, और फिर दुआएं मासूरा पढ़ने के बाद सलाम फेर दे

इस तरह आपकी 2 रकात नमाज मुकम्मल हो जाएगी।

सलातुल तस्बीह । Salatul Tasbeeh

इसके बाद फिर आप सलातुल तस्बीह पढ़ने का एहतमाम करें । सलातुल तस्बीह का बहुत ज्यादा सवाब है। अल्लाह तआला बेहिसाब आपके गुनाहों को माफ़ फरमा देता है। हुज़ूर सल्ललाहू अलैहि वसल्लम ने अपने चाचा हज़रत अब्बास रजि अल्लाहू तआला अन्हू को और तमाम साहब को सलातुल तस्बीह पढ़ने की तरगीब दी है, तो वो आपको चाहिए की ये नमाज़ जो है । हफ्ते के हफ्ते पढ़े , या रोज़ अगर पढ़ सकते हैं तो रोज़ पढ़ें, और अगर हफ्ते के हफ्ते या रोज़ रोज़ नहीं पढ़ सकते हैं तो महीने के महीने पढ़ें। महीने के महीने अदा नहीं कर सकते तो साल के साल अदा करें और अगर साल के साल भी अदा नहीं कर सकते हैं, वैसे तो अदा कर सकते हैं। इतनी ज्यादा भी इसमें टाइम नहीं लगता है। अदा करने में कोई दिक्कत नहीं है। 20 - 25 मिनट लगते हैं। अगर साल में भी अदा नहीं कर सकते तो ज़िंदगी में एक मर्तबा ये नमाज़ जरूर अदा करें। बहुत ज्यादा इसमें शबाब है,


सलातुल तस्बीह की नमाज कैसे पढ़ें। Salatul tasbeeh Ki Namaz Ka Trika.

सबसे पहले आपने चार रकात नमाज सलातुल तस्बीह की नीयत बांधनी है। बस इस तरह कह दें आप। मैंने 4 नमाज रकात सलातुल तस्बीह की नियत की है या मैं सलातुल तस्बीह पढ़ रहा हूँ तो आपकी नीयत हो जाएगी। या दिल में इरादा कर लें, नीयत हो जाएगी।

सबसे पहले नमाज़ की नियत करें । नियत करने के बाद अल्लाहु अकबर कह कर हाथ बांध लें इसके बाद सना पढ़ें फिर 15 बार तस्बीह पढ़ें। 

तस्बीह। Tasbeeh 

"सुब्हान अल्लाही वलहम्दुलिल्लाहि व लाइलाह इल्ल लाहू वल् लाहु अकबर "
( سُبْحَانَ اللَّهِ وَالْحَمْدُ لِلَّهِ وَلَا إِلَهَ إِلا اللَّهُ وَاللَّهُ أَكْبَرُ)

फिर सूरह फातिहा और फिर कुरआन मजीद की कोई एक सूरह (जो आपकों याद हो) पढ़ें , फिर तस्बीह (सुब्हान अल्लाही वलहम्दुलिल्लाहि व लाइलाह इल्ल लाहू वल् लाहु अकबर) को 10 बार पढ़ें।

अब रुकू में जाएं और 3 बार 'सुब्हान रब्बि अल-अज़ीम' पढ़ें । उसके बाद तस्बीह को 10 बार पढ़ें।

रुकू से खड़े होकर (समिअल्लाहु लिमन हमीदह, रब्बना लकल हम्द') के बाद तस्बीह को 10 बार पढ़ें।

अब अल्लाहू अकबर कहते हुए सज्दे में चले जाएं और 3 बार 'सुब्हान रब्बि अल-आला' पढ़ने के बाद तस्बीह को 10 बार पढ़ें।

सज्दे से उठने के बाद जलसा में (दोनों सज्दों के बीच में) बैठकर 10 बार तस्बीह पढ़ें।

अब दूसरे सज्दे में जाएं, दूसरे सज्दे की तस्बीह पढ़ने के बाद इस तस्बीह को 10 बार पढ़ें।

चार रकअत पूरी होने तक दोहराएँ। और चौथी रकात में सज्दों के बाद अत्तहिय्यात, दूरूद शरीफ और दुआ ए मासुरा पढ़कर सलाम फेर दें।

नोट: इस पूरे नमाज के दौरान इस तस्कुबीह को कुल मिलाकर 300 बार पढ़ना चाहिए।

Salatul Tasbeeh Benefits । सलातुल तस्बीह नमाज का फायदा 

नफ़ील नमाजों में सलातुल तस्बीह की नमाज़ की बहुत ज्यादा फजीलत बयान की गई है । इस नमाज को पढ़ने से दीन-व-दुनिया की बहुत सी बरकतें हासिल होती है । गुनाह माफ हो जाते हैं और इसके पढ़ने से रोजी में बरकत पैदा होती है । किसी मुसीबत और दुशवारी के वक्त अगर इस नमाज को पढ़ कर अल्लाह से दुआ की जाए तो वह मुसीबत इस नमाज की बरकत से दूर हो जाती है ।

इशराक की नमाज । Ishraq Ki Namaz

इशराक की नमाज़ का टाइम । Ishraq Ki Namaz Ka Time

इशराक की नमाज़ को अदा करने का वक्त फजर की नमाज़ के कुछ देर बाद यानि अफताब बुलन्द होने मतलब सूरज चमकने के बीस मिनट बाद अदा करने का दुरूस्त वक्त है।

अगर किसी दिन आसमान में बादल के कारण या किसी कारण आपको आफताब बुलन्द होने की उम्मीद न दिखाई दे तो ऐसे में आप इसे वक्त के लिहाज से अदा कर सकते हैं जैसे इस तरह वक्त का लिहाज़ करें कि कहीं भी सूर्योदय यानी अफताब बुलन्द होने की जानकारी मालुम करें और उसी के ठीक बीस मिनट बाद नमाज़ अदा करें।

ऐसे दिनों में ज्यादा ताखीर यानी देर से इशराक की नमाज़ को मुकम्मल करने की कोशिश करें, इसका अंदाजा आप जन्त्री या मस्जिद से भी लगा सकते हैं क्यूंकि मस्जिदों में अवकाते नमाज़ के साथ अफताब बुलन्द होने का समय लिखा रहता है।

इशराक की नमाज़ की नियत । Ishraq Ki Namaz Ki Niyat 

इशराक की दो रकअत नमाज़ की नियत:- नियत कि मैंने दो रकअत नमाज इशराक की नफ्ल वास्ते अल्लाह तआला के रूख मेरा काअबा शरीफ की तरफ अल्लाहु अकबर।

Ishraq Ki Namaz Ka Tarika – पहली रकअतसबसे पहले नियत करें, अगर आपको नियत नहीं मालूम है तो मैने इशराक की नियत नीचे बताया है।
जब नियत में अल्लाहु अकबर कहने लगे तो अपने दोनों हाथों को कानों कि लौ तक उठाएं और नीचे हाथ करके नियत बांध लें।
इसके बाद सना पढ़ें यानी ‘सुब्हान कल्ला हुम्मा व बिहम्दिका व तबारा कस्मुका‌ व तआला जद्दुक वला इलाहा गैरुक’ पढ़ें।

फिर अउजुबिल्लाहि मिनशशैतानिर्रजीम इसके बाद बिस्मिल्लाह हिर्रहमान निर्रहीम पढ़ें।

अब आप अल्हम्दु शरीफ यानी सूरह फातिहा पढ़ें फिर पूरा पढ़ने के बाद आहिस्ते से ‘आमीन’ कहें।
इसके बाद कुरान शरीफ की कोई भी छोटी बड़ी सूरह को पढ़ सकते हैं।
इसके बाद अल्लाहु अकबर कहते हुए रूकुअ में जाएं और तीन पांच या सात बार सुब्हान रब्बियल अजिम पढ़ें।
फिर उठते वक्त समिअल्लाहु लिमन हमिदह कहें और उठने के बाद रब्बना लकल हम्द कहें।
इसके बाद अल्लाहु अकबर कहकर सज्दा में जाएं और यहां पर तीन, पांच या सात बार सुब्हान रब्बियल अअला पढ़ें‌।
फिर अल्लाहु अकबर कहते हुए थोड़े समय के लिए बैठे फिर अल्लाहु अकबर कहते हुए पिछली बार की तरह सज्दा करें।
फिर लंबे सांस में अल्लाहु अकबर कहते हुए सीधे खड़े हो जाएं यहां तक इशराक की दो रकअत में से पहली रकअत मुकम्मल हो गई,
अब दुसरी रकअत के लिए अल्लाहु अकबर कहते हुए खड़े हो जाएं।

Ishraq Ki Namaz Ka Tarika – दूसरी रकअतअब सिर्फ बिस्मिल्लाह हिर्रहमान निर्रहीम पढ़ कर सुरह फातिहा पढ़े।
फिर सुरह फातिहा पढ़ने के बाद आहिस्ते से आमीन कहे, फिर कुरान शरीफ की कोई भी छोटी सुरह या बड़ी सूरह को पढ़ें।
इसके बाद अल्लाहु अकबर कहते हुए रूकुअ में जाएं और कम से कम तीन मर्तबा सुब्हान रब्बियल अजिम पढ़ें।
फिर उठते वक्त समिअल्लाहु लिमन हमिदह पढ़ें‌ और उठने के बाद रब्बना लकल हम्द कहें।
अब अल्लाहु अकबर कहते हुए सज्दा करें और यहां पर कम से कम तीन बार सुब्हान रब्बियल अअला पढ़ें‌।
फिर अल्लाहु अकबर कहते हुए थोड़े समय के लिए बैठे फिर अल्लाहु अकबर कहते हुए पिछली बार की तरह सज्दा करें।
इसके बाद अल्लाहु अकबर कहते हुए तशह्हुद के लिए बैठ जाए और अतहियात पढ़ें।
जब कलिमे ‘ला’ यानी अशहदु अल्ला पर पहुंचे तो अपने दाहिने हाथ की शहादत उंगली उठाएं और इल्ला पर गिरा दे।
अब दुरुद शरीफ पढ़े आपको यह मालूम होगा कि यहां पर दुरूद ए इब्राहिम पढ़ा जाता है। दरूद इब्राहिम हिंदी में 
अब आखरी में सिर्फ दुआ ए मासुरह को पढ़ें और सलाम फेर लें।
सबसे पहले अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाह कहते हुए दाहिने कन्धे कि ओर गर्दन को घुमाएं।
फिर बाएं कंधे की ओर अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाह कहते हुए गर्दन को घुमाएं।
यहां पर आपकी इशराक की नमाज़ की दोनों रकअत भी मुक्कमल हो गई।

इसी तरह दो- दो रकअत करके आप चाहें तो चार रकअत, आठ रकअत या बारह रकअत जितनी चाहें अदा करें।

इशराक की नमाज़ के फ़ायदे । Ishraq Ki Namaz ke Fayede.

सभी नमाजों की फ़ायदे बेशुमार है लेकीन इस इशराक की नमाज़ का शान बहुत ही आला है:-इशराक की दो रकअत फजर की नमाज़ के बाद अदा करने से एक हज करने जैसे बड़ा सवाब हासिल होता है।
इशराक की चार रकअत पढ़ने से पूरे दिन फरिश्ते नमाज़ पढ़ने वाले पर अपना नज़र बनाए रखते हैं।
यह एक तरह का नफ्ल नमाज़ है जिसे पढ़ने से अल्लाह अपने बन्दों का उनकी नेक दुआ कुबूल करता है।
सभी नफ्ल नमाज़ पढ़ने के फायदे बेशुमार है जैसे चाश्त, सलातुल तस्बीह की नमाज़ पढ़ने के भी बहुत बड़ी फ़ज़ीलत है।
सबसे बड़ा और आला फायदा यह है कि इसे दिन की शुरूआत में अदा किया जाता है जिसे पूरे दिन सवाब हासिल होता है।
अगर आप इशराक की दो रकअत नमाज़ ए फजर के बाद जिक्र इलाही करते हुए अदा किया तो एक उमराह का सवाब मिलता है।
इशराक की नमाज़ की फज़ीलत

हुजूरे अक्दस सल्लल्लाहो तआला अलैही वसल्लम ने फ़रमाया कि जो शख्स फज्र की नमाज़ जमाअत से पढ़ कर जिक्र ए इलाही करता रहे यहां तक कि सूरज बुलंद हो जाए फिर 2 दो रकअत नमाज ए इशराक पढ़े तो उसे पूरे एक हज़ और उमरे का सवाब मिलेगा।

हज़रत अबू ज़र रजिअल्लाहो अन्ह रसुलुल्लाह सल अल्लाहु अलैह वस्सलाम से रिवायत करते हैं कि आप सल्लल्लाहो अलैही वसल्लम ने फ़रमाया कि अल्लाह तआला फरमाता है कि ऐ आदम कि औलाद दिन के शुरूआत में चार 4 रकअत पढ़ लिया कर मैं दिन के आखिरी तक तेरा ज़िम्मेदार हुं।

Conclusion:- 

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4 Comments
  • Anonymous
    Anonymous February 25, 2024 at 10:17 PM

    Sabebarat ki bamaj

  • Anonymous
    Anonymous February 25, 2024 at 11:14 PM

    Masha Allah

  • Anonymous
    Anonymous February 26, 2024 at 12:13 AM

    Masha Allah

  • Anonymous
    Anonymous February 26, 2024 at 1:17 AM

    Md Aslam

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