अत्ताहियात हिन्दी में। Attahiyat in Hindi

प्यारे दोस्तों अस्सलाम अलैकुम - दोस्तों आज अत्ताहियात एक ऐसी दुआं है। जिसे हर मुसलमान को याद होना जरूरी है। दोस्तों अत्ताहियात दुआ के पढ़ें बगैर नमाज नहीं होती है। अत्ताहियात हर नमाज में पढ़ी जाती है। दोस्तों जब हम नमाज मे दुसरे रेकात में सजदे के बाद बैठते हैं तो अत्ताहियात पढ़ी जाती है। इस दुआ के पढ़ें बिना नमाज नहीं होती है। जब हम इस दुआ के अलफ़ाज़ अशहदू अल्ला इलाहा को पढ़ना शुरू करे तो उसी वक़्त हमको अपनी दाहिनी तरफ की शहादत की ऊँगली को उठाते हैं और इलाहा के बाद नीचे रख देते हैं। इसी लिए हमें अत्ताहियात याद होना जरूरी है। फिर अत्ताहियात के बाद दरूद शरीफ पढ़ा जाता है।

अत्ताहियात हिन्दी में। Attahiyat in Hindi
अत्ताहियात हिन्दी में। Attahiyat in Hindi

अत्ताहियात हिन्दी में। Attahiyat in Hindi

अत्तहिय्यातु लिल्लाहि वस्सलावातु, वत्त्तय्यिबातु अस्सलामु ‘अलैका’ अय्युहं-नबिय्यु व रहमतुल्लाहि व बरकातुहू अस्सलामु ‘अलेना व ‘अला ‘इबदिल्लाहिस-सालिहीन अश-हदू ‘अं-ला ‘इलाहा ‘इल्लल्लाहू व ‘अश-हदू ‘अन्ना मुहम्मदन ‘अब्दुहु व रसूलुहु।

अत्ताहियात  हिंदी में तर्ज़ुमा । Attahiyat Hindi Tarzuma 

हे अल्लाह! आप अकेले ही सभी इबादते के लायक हैं। हे पैगंबर! आप पर अल्लाह की रहमत और उसकी दुआओं पर हो। हम पर और अल्लाह के नेक बंदों पर शांति हो। मैं गवाही देता हूं कि अल्लाह के सिवा कोई इबादत के लायक नहीं है और मैं गवाही देता हूं कि मुहम्मद सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम अल्लाह के बंदे और रसूल हैं।

अत्ताहियात हिन्दी में। Attahiyat in Hindi
अत्ताहियात हिन्दी में। Attahiyat in Hindi

अत्ताहियात की फजीलत। Attahiyat Ki Fajilat 

आसमान में अल्लाह और उसके रसूल हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम के दरमियान की मेराज के वक्त की गुफ्तगू (बात-चीत ) को ही अत्ताहियात कहते है !

जब हमारे नबी हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम अल्लाह से मुलाकात के लिए हाज़िर हुए । तो मुलाकात के वक्त रसूलल्लाह सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम ने अल्लाह तबारक व तआला से सलाम नही किया,

क्यूंकि हकीकत मे हम अल्लाह को सलाम पेश नही कर सकते ! क्यूंकि तमाम सलामती अल्लाह की तरफ से है

इसलिए हमारे नबी हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम ने अल्लाह को सलाम न करते हुए यह फरमाया । 

अत्तहिय्यातु लिल्लाही वस्सलवातु वत्तैयिबातु
जिसका हिंदी तर्जुमा कुछ इस तरह हैं – तमाम बोल से अदा होने वाली और बदन से अदा होने वाली तमाम इबादतें अल्लाह के लिए है
इसपर अल्लाह तबारक व तआला ने जवाब दिया-

अस्सलामु अलैका अय्युहन नबिय्यु व रहमतुल्लाही व बरकातुहू
जिसका हिंदी तर्जुमा  – सलामती हो तूम पर या नबी, और रहमत और बरकत हो !

हमारे नबी हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम ने फरमाया:
अस्सलामु अलैना व अला इबादिल्लाहिस्सालिहीन
जिसका हिंदी तर्जुमा  – सलामती हो हम पर और अल्लाह आपके नेक बन्दों पर

यहा गौर करो, नबी ने सलामती हो मुझ पर ऐसा नही कहा बल्की सलामती हो “हम पर” यानी उम्मत पर ऐसा कहा

यह सब वाकिया “फरिश्तों” ने सूना और ये सब सुनकर फरिश्तों न अर्ज किया:-

अशहदु अल्ला इलाहा इल्ललाहु व अशहदु अन्ना मुहम्मदन अब्दुहू व रसूलुहु 
जिसका हिंदी तर्जुमा – हम गवाही देते है की, अल्लाह के सिवाय कोई इबादत के लायक नही है ! और हम गवाही देते है की, हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम अल्लाह के नेक बन्दे और रसूल है।

नोट -

अत्ताहियात कुरान का सूरह नहीं है लेकिन इब्न अब्बास फरमाते हैं कि अल्लाह के रसूल(सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम) हमें अत्ताहियात कुरान के सूूूूरह की तरह ही सिखाया करते थें।

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