सूरह वाकिया हिन्दी में। Surah Waqiah in Hindi with Arabic Audio
अस्सलाम अलैकूम दोस्तों। आज हम आपके लिए सूरह वाकिया Surah AL-Waqiah हिन्दी में तर्जुमा के साथ लिख रहे हैं। जिस से आपको सूरह वाकिया पढ़ने और समझने में आसानी होगी। प्यारे दोस्तों सूरह वाकिया कुरआन मजीद की 27 वी पारे में 56 वी सूरह है। प्यारे दोस्तों सूरह वाकिया मक्की सूरह है। जिसमें 96 आयतें हैं।
दोस्तों सूरह वाकिया Mp3 भी साथ में हैं। जिसे आप प्ले कर के सूरह वाकिया सुन सकतें हैं और उसके साथ पढ़ भी सकते हैं। जिस से आपको सूरह वाकिया पढ़ने में दिक्कत नहीं होगी। आप सूरह वाकिया की आइडियो फ़ाइल भी डाउनलोड कर सकते हैं। सूरह वाकिया अरबी हिन्दी और तर्जुमा सब लाइन बाई लाइन लिखा गया है। आप पढ़ें और अपने दोस्तों के साथ भी शेयर जरुर करे। Surah Yaseen पढ़ें।
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सूरह वाकिया हिन्दी में। Surah Waqiah in Hindi with Arabic Audio
सूरह वाकिया तर्जुमा के साथ MP3 सूने।
सूरह वाकिया हिन्दी और अरबी में तर्जुमा के साथ
بِسۡمِ ٱللَّهِ ٱلرَّحۡمَٰنِ ٱلرَّحِيمِ
बिस्मिल्ला हिर रहमानिर रहीम
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(١)
إِذَا وَقَعَتِ ٱلۡوَاقِعَةُ
1- इज़ा वक अतिल वाकिअह
उस वक़्त को याद करो जब क़यामत वाक़े हो जाएगी
(٢)
لَيۡسَ لِوَقۡعَتِهَا كَاذِبَةٌ
2- लैसा लिवक अतिहा काज़िबह
जिस के वाक़े होने में कोई झूट नहीं
(٣)
خَافِضَةٞ رَّافِعَةٌ
3- खाफिज़तुर राफि अह
किसी को नीचा करेगी और किसी को ऊंचा
(٤)
إِذَا رُجَّتِ ٱلۡأَرۡضُ رَجّٗا
4- इज़ा रुज्जतिल अरजु रज्जा
जब ज़मीन हिला कर रख दी जाएगी
(٥)
وَبُسَّتِ ٱلۡجِبَالُ بَسّٗا
5- व बुस्सतिल जिबालु बस्सा
और पहाड़ पीस कर रख दिए जायेंगे
(٦)
فَكَانَتۡ هَبَآءٗ مُّنۢبَثّٗا
6- फकानत हबा अम मुम्बस्सा
तो वो उड़ता हुआ गुबार बन जायेंगे
(٧)
وَكُنتُمۡ أَزۡوَٰجٗا ثَلَٰثَةٗ
7- व कुन्तुम अजवाजन सलासह
और तुम तीन किस्मों में बंट जाओगे
(٨)
فَأَصۡحَٰبُ ٱلۡمَيۡمَنَةِ مَآ أَصۡحَٰبُ ٱلۡمَيۡمَنَةِ
8- फ अस्हाबुल मय्मनति मा अस्हाबुल मय्मनह
( एक ) तो दाहिनी तरफ़ वाले, क्या कहने दाहिनी तरफ़ वालों के
(٩)
وَأَصۡحَٰبُ ٱلۡمَشۡـَٔمَةِ مَآ أَصۡحَٰبُ ٱلۡمَشۡـَٔمَةِ
9- व अस्हाबुल मश अमति मा अस्हाबुल मश अमह
( दुसरे ) बायीं तरफ़ वाले, बायीं तरफ़ वाले कैसे बुरे हाल में होंगे
(١٠)
وَٱلسَّـٰبِقُونَ ٱلسَّـٰبِقُونَ
10- वस साबिकूनस साबिकून
( तीसरे ) आगे बढ़ जाने वाले, ( उन का क्या कहना ) वो तो आगे बढ़ जाने वाले हैं
(١١)
أُوْلَـٰٓئِكَ ٱلۡمُقَرَّبُونَ
11- उला इकल मुक़र्रबून
यही हैं जिनको अल्लाह से ख़ुसूसी नज़दीकी हासिल होगी
(١٢)
فِي جَنَّـٰتِ ٱلنَّعِيمِ
12- फ़ी जन्नातिन नईम
वो नेअमतों वाले बाग़ों में होंगे
(١٣)
ثُلَّةٞ مِّنَ ٱلۡأَوَّلِينَ
13- सुल्लतुम मिनल अव्वलीन
उन का एक बड़ा गिरोह तो अगले लोगों में होगा
وَقَلِيلٞ مِّنَ ٱلۡأٓخِرِينَ
(١٤)
وَقَلِيلٌ مِنَ الْآخِرِينَ
14- व क़लीलुम मिनल आखिरीन
और थोड़े से पिछले लोगों में होंगे
(١٥)
عَلَىٰ سُرُرٖ مَّوۡضُونَةٖ
15. अला सुरुरिम मौजूनह
ऐसी मसेहरियों पर जो सोने से बुनी और जवाहरात से जड़ी होंगी
(١٦)
مُّتَّكِـِٔينَ عَلَيۡهَا مُتَقَٰبِلِينَ
16. मुत्तकि ईना अलैहा मुतकाबिलीन
उन पर आमने सामने टेक लगाये हुए बैठे होंगे
(١٧)
يَطُوفُ عَلَيْهِمْ وِلْدَانٌ مُخَلَّدُونَ
17. यतूफु अलैहिम विल्दानुम मुखल्लदून
उन की ख़िदमत में ऐसे लड़के जो हमेशा लड़के ही रहेंगे वो उनके पास आते जाते रहेंगे
(١٨)
بِأَكْوَابٍ وَأَبَارِيقَ وَكَأْسٍ مِنْ مَعِينٍ
18. बिअक्वाबिव व अबारीका व कअ’सिम मिम मईन
ग्लासों और जगों में साफ़ सुथरी शराब के जाम लिए हुए
(١٩)
لَا يُصَدَّعُونَ عَنْهَا وَلَا يُنْزِفُونَ
19. ला युसद्द ऊना अन्हा वला युन्ज़िफून
ऐसी शराब जिससे न उनके सर चकरायेंगे और न उनके होश उड़ेंगे
(٢٠)
وَفَاكِهَةٍ مِمَّا يَتَخَيَّرُونَ
20. व फाकिहतिम मिम्मा यता खैयरून
और ऐसे मेवे लिए हुए जिनको वो खुद पसंद करेंगे
(٢١)
وَلَحْمِ طَيْرٍ مِمَّا يَشْتَهُونَ
21. वलहमि तैरिम मिम्मा यश तहून
और ऐसे परिंदों का गोश्त लिए जिनकी उन्हें ख्वाहिश होगी
(٢٢)
وَحُورٌ عِينٌ
22. व हूरून ईन
और खूबसूरत आँखों वाली हूरें
(٢٣)
كَأَمْثَالِ اللُّؤْلُؤِ الْمَكْنُونِ
23. कअम्सा लिल लुअ’लुइल मक्नून
जैसे छिपा छिपा कर रखे गए मोती
(٢٤)
جَزَاءً بِمَا كَانُوا يَعْمَلُونَ
24. जज़ा अम बिमा कानू यअ’मलून
ये सब उनके कामों के बदले के तौर पर होगा जो वो किया करते थे
(٢٥)
لَا يَسْمَعُونَ فِيهَا لَغْوًا وَلَا تَأْثِيمًا
25. ला यस्मऊना फ़ीहा लग्वव वला तअसीमा
वो न उस में बेकार बातें सुनेंगे और न ही कोई गुनाह की बात
(٢٦)
إِلَّا قِيلًا سَلَامًا سَلَامًا
26. इल्ला कीलन सलामन सलामा
सिवाए सलामती ही सलामती की बात के
(٢٧)
وَأَصْحَابُ الْيَمِينِ مَا أَصْحَابُ الْيَمِينِ
27. व अस्हाबुल यामीनि मा अस्हाबुल यमीन
और जो दायें तरफ वाले हैं, क्या खूब हैं दायें तरफ वाले
(٢٨)
فِي سِدْرٍ مَخْضُودٍ
28. फ़ी सिदरिम मख्जूद
काँटों से पाक सिदरा के दरख्तों में
(٢٩)
وَطَلْحٍ مَنْضُودٍ
29. व तल्हिम मन्जूद
लदे हुए केले के पेड़ों में
(٣٠)
وَظِلٍّ مَمْدُودٍ
30. व ज़िल्लिम मम्दूद
और फैले हुए साये में
(٣١)
وَمَاءٍ مَسْكُوبٍ
31. वमा इम मस्कूब
और बहते हुए पानी में
(٣٢)
وَفَاكِهَةٍ كَثِيرَةٍ
32. व फाकिहतिन कसीरह
और बहुत से फलों में
(٣٣)
لَا مَقْطُوعَةٍ وَلَا مَمْنُوعَةٍ
33. ला मक़्तू अतिव वला ममनूअह
जो न ख़त्म होने को आयेंगे और न उन में कोई रोक टोक होगी
(٣٤)
وَفُرُشٍ مَرْفُوعَةٍ
34. व फुरुशिम मरफूअह
और बलंद बिस्तरों में
(٣٥)
إِنَّا أَنْشَأْنَاهُنَّ إِنْشَاءً
35. इन्ना अनशअ नाहुन्ना इंशाआ
हम ने (उन के लिए) हूरें बनाई हैं
(٣٦)
فَجَعَلْنَاهُنَّ أَبْكَارًا
36. फज अल्नाहुन्ना अब्कारा
तो हम ने उनको कुंवारी बनाया है
(٣٧)
عُرُبًا أَتْرَابًا
37. उरुबन अतराबा
मुहब्बत भरी हमजोलियाँ
(٣٨)
لِأَصْحَابِ الْيَمِينِ
38. लि अस्हाबिल यमीन
ये है दायें तरफ वालों के लिए
(٣٩)
ثُلَّةٌ مِنَ الْأَوَّلِينَ
39. सुल्लतुम मिनल अव्वलीन
उनकी एक बड़ी जमात अगले लोगों में है
(٤٠)
وَثُلَّةٌ مِنَ الْآخِرِينَ
40. वसुल्लतुम मिनल आखिरीन
उनकी एक बड़ी जमात पिछले लोगों में है
(٤١)
وَأَصْحَابُ الشِّمَالِ مَا أَصْحَابُ الشِّمَالِ
41. व अस्हाबुश शिमालि मा अस्हाबुश शिमाल
और बाएं तरफ वाले, क्या हाल होगा बाएं तरफ वालों का
(٤٢)
فِي سَمُومٍ وَحَمِيمٍ
42. फ़ी समूमिव व हमीम
वो होंगे झुलसा देने वाली हवा में और खौलते पानी में
(٤٣)
وَظِلٍّ مِنْ يَحْمُومٍ
43. व ज़िल्लिम मिय यहमूम
सियाह धुएं के साए में
(٤٤)
لَا بَارِدٍ وَلَا كَرِيمٍ
44. ला बारिदिव वला करीम
जो न ठंडा होगा और न फायदा पहुँचाने वाला होगा
(٤٥)
إِنَّهُمْ كَانُوا قَبْلَ ذَٰلِكَ مُتْرَفِينَ
45. इन्नहुम कानू क़ब्ला ज़ालिका मुतरफीन
इस से पहले वो बड़े ऐशो इशरत में पड़े हुए थे
(٤٦)
وَكَانُوا يُصِرُّونَ عَلَى الْحِنْثِ الْعَظِيمِ
46. व कानू युसिर्रूना अलल हिन्सिल अज़ीम
और बड़े भारी गुनाह ( शिर्क ) पर अड़े रहते थे
(٤٧)
وَكَانُوا يَقُولُونَ أَئِذَا مِتْنَا وَكُنَّا تُرَابًا وَعِظَامًا أَإِنَّا لَمَبْعُوثُونَ
47. व कानू यकूलूना अ इज़ा मितना व कुन्ना तुराबव व इज़ामन अ इन्ना लमब ऊसून
और कहा करते थे : जब हम मर जायेंगे और मिटटी हड्डी हो जायेंगे तो क्या हम फिर दोबारा जिंदा किये जायेंगे
(٤٨)
أَوَآبَاؤُنَا الْأَوَّلُونَ
48. अवा आबाउनल अव्वलून
और क्या हमारे पहले बाप दादा भी
(٤٩)
قُلْ إِنَّ الْأَوَّلِينَ وَالْآخِرِينَ
49. कुल इन्नल अव्वलीना वल आखिरीन
कह दीजिये कि सब अगले और पिछले लोग
(٥٠)
لَمَجْمُوعُونَ إِلَىٰ مِيقَاتِ يَوْمٍ مَعْلُومٍ
50. लमज मूऊना इला मीकाति यौमिम मालूम
एक मुक़र्ररह दिन पर ज़रूर इकठ्ठा किये जायेंगे
(٥١)
ثُمَّ إِنَّكُمْ أَيُّهَا الضَّالُّونَ الْمُكَذِّبُونَ
51. सुम्मा इन्नकुम अय्युहज़ ज़ाल्लूनल मुकज्ज़िबून
फिर ए गुमराहों और ए झुटलाने वालों ! यक़ीनन तुम
(٥٢)
لَآكِلُونَ مِنْ شَجَرٍ مِنْ زَقُّومٍ
52. ल आकिलूना मिन शजरिम मिन ज़क्कूम
यक़ीनन ज़क्कूम के दरख़्त खाओगे
(٥٣)
فَمَالِئُونَ مِنْهَا الْبُطُونَ
53. फ मालिऊना मिन्हल बुतून
और इसी से पेट भरोगे
(٥٤)
فَشَارِبُونَ عَلَيْهِ مِنَ الْحَمِيمِ
54. फ शारिबूना अलैहि मिनल हमीम
फिर उस पर खौलता हुआ पानी पियोगे
(٥٥)
فَشَارِبُونَ شُرْبَ الْهِيمِ
55. फ शारिबूना शुरबल हीम
और पियोगे भी प्यासे ऊंटों की तरह
(٥٦)
هَٰذَا نُزُلُهُمْ يَوْمَ الدِّينِ
56. हाज़ा नुज़ुलुहुम यौमद दीन
क़यामत के दिन यही उन की मेहमान नवाज़ी होगी
(٥٧)
نَحْنُ خَلَقْنَاكُمْ فَلَوْلَا تُصَدِّقُونَ
57. नहनु खलक्नाकुम फलौला तुसद्दिकून
हम ने ही तुम को पैदा किया तो फिर तुम (दोबारा जिंदा किये जाने को) सच क्यूँ नहीं मानते हो ?
(٥٨)
أَفَرَأَيْتُمْ مَا تُمْنُونَ
58. अफा रअय्तुम मा तुम्नून
भला देखो तो सही, जो मनी तुम (औरतों के रहम में) डालते हो
(٥٩)
أَأَنْتُمْ تَخْلُقُونَهُ أَمْ نَحْنُ الْخَالِقُونَ
59. अ अन्तुम तख्लुकूनहु अम नहनुल खालिकून
उस को तुम इंसान बनाते हो या हम बनाने वाले हैं
(٦٠)
نَحْنُ قَدَّرْنَا بَيْنَكُمُ الْمَوْتَ وَمَا نَحْنُ بِمَسْبُوقِينَ
60. नहनु क़द्दरना बय्नकुमुल मौता वमा नहनु बिमस्बूकीन
हम ने ही तुम्हारे लिए मरना तय किया है (कि हर शख्स पर मौत आती है) और हम उस बात से आजिज़ नहीं हैं
(٦١)
عَلَىٰ أَنْ نُبَدِّلَ أَمْثَالَكُمْ وَنُنْشِئَكُمْ فِي مَا لَا تَعْلَمُونَ
61. अला अन नुबददिला अम्सालकुम व नुन्शिअकुम फ़ी माला तअ’लमून
कि तुम्हारी जगह तुम्हारे जैसे किसी और को ले आयेंगे और तुम को वहां उठा खड़ा करेंगे, जिस का तुम को कोई भी इल्म नहीं
(٦٢)
وَلَقَدْ عَلِمْتُمُ النَّشْأَةَ الْأُولَىٰ فَلَوْلَا تَذَكَّرُونَ
62. व लक़द अलिम्तुमुन नश अतल ऊला फलौला तज़क करून
और तुम तो पहली पैदाइश को जानते ही हो तो क्यूँ सबक़ नहीं लेते
(٦٣)
أَفَرَأَيْتُمْ مَا تَحْرُثُونَ
63. अफा रअय्तुम मा तहरुसून
देखो तो सही कि तुम जो कुछ बोते हो
(٦٤)
أَأَنْتُمْ تَزْرَعُونَهُ أَمْ نَحْنُ الزَّارِعُونَ
64. अ अन्तुम तजर उनहू अम नहनुज़ जारिऊन
उसको तुम उगाते हो या हम उगाते हैं
(٦٥)
لَوْ نَشَاءُ لَجَعَلْنَاهُ حُطَامًا فَظَلْتُمْ تَفَكَّهُونَ
65. लौ नशाऊ लजा अल्नाहु हुतामन फज़ल तुम तफक्कहून
अगर हम चाहें तो उसको रेज़ा रेज़ा कर डालें फिर तुम बातें बनाते रह जाओ
(٦٦)
إِنَّا لَمُغْرَمُونَ
66. इन्ना ल मुगरमून
( तुम कहने लगो : ) कि हम पर तो तावान पड़ गया
(٦٧)
بَلْ نَحْنُ مَحْرُومُونَ
67. बल नहनु महरूमून
बल्कि हम बड़े बदनसीब हैं
(٦٨)
أَفَرَأَيْتُمُ الْمَاءَ الَّذِي تَشْرَبُونَ
68. अफा रअय्तुमुल मा अल्लज़ी तशरबून
फिर बताओ तो सही कि जिस पानी को तुम पीते हो
(٦٩)
أَأَنْتُمْ أَنْزَلْتُمُوهُ مِنَ الْمُزْنِ أَمْ نَحْنُ الْمُنْزِلُونَ
69. अ अन्तुम अन्ज़ल्तुमूहु मिनल मुज्नि अम नहनुल मुन्ज़िलून
उसको बादल से तुंम बरसाते हो या हम बरसाते हैं
(٧٠)
لَوْ نَشَاءُ جَعَلْنَاهُ أُجَاجًا فَلَوْلَا تَشْكُرُونَ
70. लौ नशाऊ ज अल्नाहू उजाजन फलौला तश्कुरून
अगर हम चाहें तो उसको खारा कर दें फिर तुम शुक्र क्यूँ नहीं करते
(٧١)
أَفَرَأَيْتُمُ النَّارَ الَّتِي تُورُونَ
71. अफा रअय्तुमुन नारल लती तूरून
फिर देखो तो सही जो आग तुम सुलगाते हो
(٧٢)
أَأَنْتُمْ أَنْشَأْتُمْ شَجَرَتَهَا أَمْ نَحْنُ الْمُنْشِئُونَ
72. अ अन्तुम अनश’अतुम शजरतहा अम नहनुल मुन्शिऊन
उसके दरख़्त को तुम ने पैदा किया है या हम ने ?
(٧٣)
نَحْنُ جَعَلْنَاهَا تَذْكِرَةً وَمَتَاعًا لِلْمُقْوِينَ
73. नहनु जअल्नाहा तज्किरतव व मताअल लिल मुक्वीन
हम ने उसको याद दिहानी करने वाला और मुसाफिरों के लिए नफाबख्श बनाया है
(٧٤)
فَسَبِّحْ بِاسْمِ رَبِّكَ الْعَظِيمِ
74. फ़सब्बिह बिस्मि रब्बिकल अज़ीम
तो आप अपने अज़मत वाले परवरदिगार के नाम की पाकी बयान कीजिये
(٧٥)
۞ فَلَا أُقْسِمُ بِمَوَاقِعِ النُّجُومِ
75. फला उक्सिमु बि मवाक़िइन नुजूम
तो अब मैं उन जगहों की क़सम खाकर कहता हूँ जहाँ सितारे गिरते हैं
(٧٦)
وَإِنَّهُ لَقَسَمٌ لَوْ تَعْلَمُونَ عَظِيمٌ
76. व इन्नहू ल क़समुल लौ तअ’लमूना अज़ीम
और यक़ीनन अगर तुम जानो तो ये बहुत बड़ी क़सम है
(٧٧)
إِنَّهُ لَقُرْآنٌ كَرِيمٌ
77. इन्नहू ल कुरआनून करीम
बेशक ये बड़ा ही काबिले एहतराम क़ुरान है
(٧٨)
لَا يَمَسُّهُ إِلَّا الْمُطَهَّرُونَ
78. फ़ी किताबिम मक्नून
जो एक महफ़ूज़ किताब में पहले से मौजूद है
(٧٩)
لَا يَمَسُّهُ إِلَّا الْمُطَهَّرُونَ
79. ला यमस्सुहू इल्लल मुतह हरून
इस को सिर्फ़ वही हाथ लगा सकता है जो खूब पाक साफ़ हो
(٨٠)
تَنْزِيلٌ مِنْ رَبِّ الْعَالَمِينَ
80. तन्जीलुम मिर रब्बिल आलमीन
ये तमाम आलम के परवरदिगार की तरफ़ से उतारा हुआ है
(٨١)
أَفَبِهَٰذَا الْحَدِيثِ أَنْتُمْ مُدْهِنُونَ
81. अफा बिहाज़ल हदीसि अन्तुम मुद हिनून
क्या तुम इस कलाम के परवरदिगार का इनकार करते हो ?
(٨٢)
وَتَجْعَلُونَ رِزْقَكُمْ أَنَّكُمْ تُكَذِّبُونَ
82. व तज अलूना रिज्क़कुम अन्नकुम तुकज्ज़िबून
और इस के झुटलाने को ही अपना मशगला बना रखा है
(٨٣)
فَلَوْلَا إِذَا بَلَغَتِ الْحُلْقُومَ
83. फलौला इज़ा बला गतिल हुल्कूम
तो जब जान गले तक आ पहुँचती है
(٨٤)
وَأَنْتُمْ حِينَئِذٍ تَنْظُرُونَ
84. व अन्तुम ही नइजिन तन्ज़ुरून
और तुम उस वक़्त ( मरने वाले को ) देख रहे होते हो
(٨٥)
وَنَحْنُ أَقْرَبُ إِلَيْهِ مِنْكُمْ وَلَٰكِنْ لَا تُبْصِرُونَ
85. व नहनु अकरबु इलैहि मिन्कुम वला किल्ला तुब्सिरून
और हम तुम से ज़्यादा उस से क़रीब हैं हालाँकि तुम नहीं देखते
(٨٦)
فَلَوْلَا إِنْ كُنْتُمْ غَيْرَ مَدِينِينَ
86 फ़लौला इन कुन्तुम गैरा मदीनीन
अगर तुम किसी और के क़ाबू में नहीं हो तो
(٨٧)
تَرْجِعُونَهَا إِنْ كُنْتُمْ صَادِقِينَ
87. तर जिऊनहा इन कुन्तुम सादिकीन
तो उस जान को वापस नहीं क्यूँ नहीं ले आते अगर तुम सच्चे हो ?
(٨٨)
فَأَمَّا إِنْ كَانَ مِنَ الْمُقَرَّبِينَ
88. फअम्मा इन कान मिनल मुक़र्रबीन
तो अगर मरने वाला खुदा के मुक़र्रिब बन्दों में से है
(٨٩)
فَرَوْحٌ وَرَيْحَانٌ وَجَنَّتُ نَعِيمٍ
89. फ़ रौहु व रैहानु व जन्नतु नईम
तो (उस के लिए) आराम ही आराम, ख़ुशबू ही ख़ुशबू और नेअमत भरी जन्नत है
(٩٠)
وَأَمَّا إِنْ كَانَ مِنْ أَصْحَابِ الْيَمِينِ
90. व अम्मा इन कान मिन अस्हाबिल यमीन
और अगर वो दाहिनी तरफ़ वालों में से है
(٩١)
فَسَلَامٌ لَكَ مِنْ أَصْحَابِ الْيَمِينِ
91. फ़ सलामुल लका मिन अस्हाबिल यमीन
तो ( उस से कहा जायेगा तेरे लिए सलामती है कि तू दायें तरफ़ वालों में से है
(٩٢)
وَأَمَّا إِنْ كَانَ مِنَ الْمُكَذِّبِينَ الضَّالِّينَ
92. व अम्मा इन कान मिनल मुकज्ज़िबीनज़ जालीन
और अगर वो झुटलाने वाले गुमराह लोगों में से था
(٩٣)
فَنُزُلٌ مِنْ حَمِيمٍ
93. फ नुज़ुलुम मिन हमीम
तो खौलते हुए पानी से मेज़बानी होगी
(٩٤)
وَتَصْلِيَةُ جَحِيمٍ
94. व तस्लियतु जहीम
और (उसे) दोज़ख़ में दाख़िल होना होगा
(٩٥)
إِنَّ هَٰذَا لَهُوَ حَقُّ الْيَقِينِ
95. इन्ना हाज़ा लहु हक्कुल यक़ीन
बेशक ये यक़ीनी बात है
(٩٦)
فَسَبِّحْ بِاسْمِ رَبِّكَ الْعَظِيمِ
96. फ़ सब्बिह बिस्मि रब्बिकल अज़ीम
बस आप अपने रब के नाम की तस्बीह किये जाइए जो बड़ी अजमतों वाला है
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