हज़रत सुलैमान अलैहिस्सलाम का वाकया। Hazrat Suleman Ka Waqia in Hindi.

अस्सलाम अलैकूम प्यारे दोस्तों। आज हम बात करेंगे हज़रत सुलैमान अलैहिस्सलाम के बारे में। हज़रत सुलैमान अलैहिस्सलाम कि कुछ मुख्तलिफ वाक्यात के बारे में। प्यारे दोस्तों अल्लाह तबारक व तआला ने हज़रत सुलैमान अलैहिस्सलाम को बेमिसाल हुकुमत और सल्तनत से नवाजा था। हज़रत सुलैमान अलैहिस्सलाम परिंदो और चींटीयों की आवाज भी सुनते और समझते थें। प्यारे दोस्तों हज़रत सुलैमान अलैहिस्सलाम का वाकया तफसील से लिखा गया है।

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हज़रत सुलैमान अलैहिस्सलाम का वाकया। Hazrat Suleman Ka Waqia in Hindi.

हज़रत सुलैमान अलैहिस्सलाम का वाकया। Hazrat Suleman Ka Waqia in Hindi.

हज़रत सुलैमान अलैहिस्सलाम जिन को ऐसी बेमिसाल हुकुमत व सल्तनत हासिल थी कि सिर्फ सारी दुनिया पर ही नहीं बल्कि जिन्नात हैवान और हवा पर भी उनकी हुकुमत थी। हज़रत सुलैमान अलैहिस्सलाम कों अल्लाह तबारक व तआला ने ऐसा बादशाह बनाया कि सारी दुनिया में उन जैसा कोई ना हुआं। आप से बढ़ कर बादशाहत भी किसी की ना हो सकी। क्योंकि खुद सुलैमान अलैहिस्सलाम ने ये दुआ की थी कि इलाही मुझे ऐसी सल्तनत अता फ़रमा की जो मेरे बाद किसी को हासिल ना हो।

जिन्नात सुलैमान अलैहिस्सलाम के हुक्म से बुलंद व बाला इमारतें तामीर करते थे, दरियां में गोता लगाकर उनसे हीरे जवाहरात और मोती वगैरह निकालते थे। दूसरे जो काम आम इंसानों की ताकत से ज्यादा होते थे आप वो काम जिन्नातो से लिया करते थे जो जिन्न आपकी हुक्म से सरताबी करते हैं या शरारते करके काम में रुकावट डालते या दूसरों को तंग करते तो आप उन्हें जंजीरों में जकड़ कर क़ैद खाने में डाल देते और ये आप पर अल्लाह की तरफ से बहुत बड़ा इनाम और एहसान था 

अल्लाह तआला सूरह स्वाद आयत 39 में फरमाते हैं ये है हमारा अतिया अब तू एहसान कर या रोक रख कुछ हिसाब नहीं ।

अल्लाह तआला ने सुलैमान अलैहिस्सलाम को उन पर कब्जा और इख्तियार दे दिया और फरमाया। अब आपकी मर्ज़ी आप इन्हें सजा दे या दरगुज़र करें। किसी को कुछ दे या रोक ले। आपके लिए सब कुछ जायज है। 

आपकी मोअजजात में से एक मोअजजा ये भी था कि हवा आपके लिए मुसखर यानी मुक्ति व फरमाबरदार थी।

अल्लाह ताला सूरह स्वाद आयत 36 में फरमाते हैं पस हमने हवा को उनके मातहत कर दिया वो आपके हुक्म से जहाँ आप चाहते नरमी से पहुंचा दिया करती थी। 

अल्लाह तआला सूरतुल अंबिया आयत 81 में फरमाते हैं। और हमने तेज व तून हवा को सुलैमान के ताबें कर दिया, जो उसके फरमान के मुताबिक उस जमीन की तरफ चलती थी जहाँ हमने बरकत दे रखी है और हम हर चीज़ का इल्म रखने वाले हैं। 

हज़रत सुलैमान अलैहिस्सलाम और बकरियों के चरवाहे का वाकया।

अल्लाह तआला ने आप को फैसला करने की जबरदस्त सलाहियत अता फरमाई थी। सूरतुल अम्बिया आयात 87 में है। और दाऊद और सुलैमान को याद कीजिये। जबकि वो खेत के मामले में फैसला कर रहे थे कि कुछ लोगों की बकरियां उसमें चर चुग गयी थी और उनके फैसले में हम मौजूद थे। 

हुआ ये की दो आदमी हम साए थे, उनमें झगड़ा हो गया। उनमें से एक के पास खेत था। इसमें उसने फसल बो रखी थी। दूसरे के पास कुछ बकरियां थी ।बकरियों का चरवाहा रात के वक्त दीवार वाले दरवाजे को बंद कर देता था ताकि बकरियां निकलकर फसल को नुकसान न पहुंचाएं। एक दिन वो दरवाजा बंद करना भूल गया। बकरियां खेत में आकर चरने लगी। फसल खराब हो गई। दोनों दाऊद अलैहिस्सलाम के पास आये अपना मुकदमा पेश किया। दाऊद अलैहिस्सलाम काजी भी थे। उस वक्त सुलैमान अलैहिस्सलाम कहीं गए हुए थे। दाऊद अलैहिस्सलाम मुकदमा सुनकर कहने लगे। ये बकरियों वाले की सुस्ती का नतीजा है। इसका हल यही है की वो तेरी बकरियां अपनी तहविल में ले ले। दोनों फरीक जब बाहर निकले तो सुलैमान अलैहिस्सलाम से मुलाकात हुई। उन्होंने तफसील सुनकर फरमाया, मेरे साथ आओ। वो उन्हें दाऊद अलैहिस्सलाम के पास ले आए और बोले। इस मुकदमे का इससे बेहतर फैसला ये है की ये बकरियां जमीन वाले को दे दें और जमीन बकरियों वाले को। जब बकरियों वाला जमीन को पहली हालत में उगा देगा तो आप दोनों की चीजें उन्हें लौटा दें। इस दौरान खेती का मालिक बकरियों के दूध से फायदा हासिल करता रहेगा। ये फैसला ज्यादा बेहतर है। इसे बकरियों वाला अपनी बकरियों से बिलकुल महरूम ना हुआ और खेती वाले का नुकसान पूरा हो गया। ये फैसला आपको अल्लाह तआला ने समझाया था।

अल्लाह तआला सूरतूल अम्बिया आयात 89 में फरमाते हैं। हमने उसका सही फैसला सुलैमान को समझा दिया। हाँ, हर एक को हमने इल्म और हिक्मत से नवाजा था।

हज़रत सुलैमान अलैहिस्सलाम और दो औरतों का वाकया।

 बुखारी और मुस्लिम में एक हदीश है, उसमें इसी किस्म का एक वाकया बयान हुआ है की दो औरतें अपना मुकदमा दाऊद अलैहिस्सलाम के पास ले आई। दोनों को अल्लाह ने एक एक बच्चा दे रखा था। एक भेड़िये ने हमला करके बड़ी उम्र वाली का बच्चा चीर फाड़ डाला औरत चालाक थी। उसने छोटी उम्र वाली का बच्चा छीन लिया की ये मेरा बच्चा है। दाऊद अलैहिस्सलाम ने देखा बच्चा बड़ी औरत के पास है तो उसके हक में फैसला दे दिया । सुलैमान अलैहिस्सलाम ने दाऊद अलैहिस्सलाम से इजाजत चाहते हुए कहा, क्या मैं इस मुकदमे का फैसला कर सकता हूं? उन्होंने इजाजत दे दी। सुलैमान अलैहिस्सलाम ने औरत से कहा बच्चा मुझे दे दो। बच्चा हाथ में लेकर उन्होंने तलवार निकाली और दोनों औरतों से फरमाया मैं इस के दो टुकड़े करके तुम दोनों में बराबर बराबर तकसीम करने लगा हूँ। यह सुनकर बड़ी औरत बोली की ठीक है जबकि छोटी औरत ममता की वजह से चिल्ला उठी कि आप इसे जिंदा रहने दें और उसे दे दे। ये सुनते ही सुलैमान अलैहिस्सलाम बोल उठे, तू ही इसकी माँ है जिससे अपने बच्चे के टुकड़े देखना बर्दाश्त ना हो सका । फिर बच्चा उसे दे दिया। 

हज़रत सुलैमान अलैहिस्सलाम और चींटी का वाकया। Hazrat Suleman aur Chunti ka Waqia

सुलैमान अलैहिस्सलाम का एक वाक्या कुरआन में यू है। सूरह नम्ल आयत 17 और 18 में है। और सुलैमान के सामने उनके तमाम लश्कर जिन्नात इंसान और परिंदों में से जमा किए गए‌। हर हर किस्म अलग अलग खड़ी कर दी गई।
जब वह चिटियों के मैदान में पहुंचे तो एक चींटी ने कहा ए चिटियों तुम अपने अपने घरों में घुस जाओ, ऐसा ना हो की बेखबरी में सुलैमान और उनका लश्कर तुम्हें रौंद डाले।उन तमाम लश्कर को इकट्ठा किया गया था। अल्लाह तआला ने चींटी की ये बात सुलैमान अलैहिस्सलाम को सुना दी । 

सूरह नम्ल आयम 19 में है। उसकी इस बात पर सुलैमान मुस्कुरा कर हंस पड़े और दुआ करने लगे की ऐ मेरे परवरदिगार तु मुझे तौफीक दे के मैं तेरी उन नेमतो का शुक्र बजा लाऊं जो तू ने मुझ पर इनाम की है और मैं ऐसे नेक आमाल करता रहूं जिनसे तू खुश रहें और मुझे अपनी रहमत से नेक बन्दों में शामिल फारमा।

हज़रत सुलैमान अलैहिस्सलाम और हुदहुद का वाकया। Hazrat Suleman Aur Hud Hud Ka Waqia

सूरह नम्ल आयम 20 से 25 में है। आपने परिंदों की देखभाल की और फरमाने लगे। क्या बात है कि हुदहुद नजर नहीं आ रहा? क्या वो वाकई ग़ैर हाज़िर है? यकीनन मैं उसे सख्त सजा दूंगा या उसे जिबाह कर डालूँगा या वो मेरे सामने कोई माकूल वजह बयान करे? कुछ ज्यादा देर ना गुजरी थी कि उसने आकर कहा, मैं एक ऐसी खबर लाया हूँ। की आपको उसकी खबर ही नहीं और मैं इस सभा की एक सच्ची खबर आपके पास लाया हूँ। मैंने देखा है कि उनकी बादशाह एक औरत है जिसे हर किस्म की चीज़ से कुछ न कुछ दिया गया है और उसका तख्त भी बड़ा अजीम है। मैंने उसे और उसकी क़ौम को अल्लाह तआला को छोड़कर सूरज को सजदा करते हुए पाया है। शैतान ने उन्हें बहला फुसलाकर सीधे रास्ते से हटा दिया है। पस वो हिदायत पर नहीं आते की उसी अल्लाह को सजदा करे जो आसमानों और जमीनों की पोशीदा चीज़ो को बाहर निकालता है और जो कुछ तुम छुपाते और ज़ाहिर करते हो वो सब कुछ जानता है। 

हुदहुद ने अल्लाह तबारक व तआला की ये शिफात इसलिए बयान की के ये अपनी हिस के जरिये जमीन में पानी वाले हिस्से का पता चला लेता है। सुलैमान अलैहिस्सलाम को भी यही हुदहुद बताया करता था कि पानी कहा है। फिर आप जिन के जरिये पानी निकलवाते थे, ये इत्तिला सुनकर सुलैमान अलैहिस्सलाम हैरान हुए। आप ने हुदहुद से कहा, हम अभी तुम्हारी बात की तस्दीक कर लेते हैं।

सूरह नम्ल आयात 27 और 28 में है। सुलैमान ने कहा, अब हम देखेंगे कि तुमने सच कहा है या तु झूठा है। मेरे इस खत को ले जाकर उन्हें दे दें। फिर उनके पास से हट आ और देख की वो क्या जवाब देते हैं।

हज़रत सुलैमान और मल्लिका ए बिलकिश का वाकया। Hazrat Suleman Aur Malka Bilqees ka Waqia 

आपने एक खत लिखकर उसे दिया । हुदहुद वो खत लेकर मालिक ए बिलकिश के महल पहुंचा । खत उसके सामने गिराकर खुद दीवार पर जा बैठा। खत देखकर मलिक ए बिलकिश ने कहा। वो कहने लगी ऐ सरदारों मेरी तरफ एक खत डाला गया है, जो सुलैमान की तरफ से है। और जो बख़्शिश करने वाले मेहरबान अल्लाह के नाम से शुरू है ये की तुम मेरे सामने सरकसी ना करो और मुसलमान बनकर मेरे पास आ जाओ। उसने कहा,ऐ मेरे सरदार हो, तुम मेरे इस मामले में मुझे मशवरा दो, मैं किसी अम्र का कतई फैसला जब तक तुम्हारी मौजूदगी और राय ना हो नहीं किया करती । और सब ने जवाब दिया। कि हम ताकत और कुवत वाले, सख्त लड़ने, भिड़ने वाले हैं ।आगे आपको इख्तियार है आप खुद ही सोच लीजिये की हमे आप क्या कुछ हुक्म फरमाती है? उसने कहा कि बादशाह जब किसी बस्ती में घुसते है, तो उसे उजाड़ देते हैं और वहाँ के बाइज्जत लोगों को जलील कर देते हैं। और ये लोग भी ऐसा ही करेंगे। मैं उन्हें एक हदिया भेजने वाली हूं फिर देख लूंगी के काशिफ क्या जवाब लेकर लौटते हैं। 

मल्लिका ए बिलकिश ये अंदाजा करना चाहती थी कि सुलैमान अलैहिस्सलाम किस किस्म के बादशाह हैं और ये की वो उनके खिलाफ़ लड़ सकेंगे या नहीं। चुनाँचे उसने फिलस्तीन की तरफ बेशुमार तोहफे रवाना किये ताकि लड़ाई की नौबत न आये। लेकिन जब ये तोहफे सुलैमान अलैहिस्सलाम के पास पहुंचे तो आप गजबनाक हों गए।

पस जब काशिफ सुलैमान अलैहिस्सलाम के पास पहुंचा तो आपने फरमाया क्या तुम माल से मुझे मदद देना चाहते हो? मुझे तो मेरे रब ने उससे बहुत बेहतर दे रखा है जो उसने तुम्हे दिया है। बस तुम ही अपने तोहफे से खुश रहो। जाओ उनकी तरफ वापस लौट जा। हम उनके मुकाबले पर वो लश्कर लाएंगे जिनके सामने पढ़ने की उनमें ताकत नहीं। और हम उन्हें जाली लो बस करके वहाँ से निकाल बाहर करेंगे।

 काशिफ उनका जवाब सुनकर और ये सूरत ए हाल देखकर दहशतजदा हो गए। उन्होंने बिलकिश के पास जाकर सारी हकीकत बयान कर दी। मालिक ए बिलकिश ने उन्हें पैगाम भिजवाया कि हम इस्लाम कबूल करने के लिए तैयार है। सुलैमान अलैहिस्सलाम तक इसका पैगाम पहूचा तो आप अपने दरबारियों की तरफ मुतवाज्जे हुए। आपने फरमाया ऐसे सरदारों तुम में से कोई है जो उनके मुसलमान होकर पहुंचने से पहले ही उसका तख्त मुझे ला दे।

 तो एक जिन्नात कहने लगा आप अपनी मजलिश से उठे, इससे पहले ही पहले मैं उसे आपके पास ला देता हूँ। यकीन मानिए कि मैं इस पर कादिर हू । और हु भी अमानतदार । जिसके पास किताब का इल्म था। वो बोल उठा कि आप पलक झपकाए इससे भी पहले मैं उसे आपके पास पहुंचा सकता हूँ। जब आपने उसे अपने पास मौजूद पाया तो फरमाने लगे। यही मेरे रब का फज्ल है ताकि वो मुझे आजमाएं की मैं शुक्रगुजारी करता हूँ या नाशुक्री । शुक्रगुजार अपने ही नफा के लिए शुक्रगुजारी करता है और जो नाशुक्री करे तो मेरा परवरदिगार बेपरवाह और कर्म करने वाला है।

हुक्म दिया कि उसके तख्त की सूरत बदल दो ताकि मालूम हो जाये कि ये राह पा लेती हैं या उनमें से होती है जो राह नहीं पाते । तख्त लाने वाले आदमी के मुतालिक जो ये आया है कि उसके पास किताब का था तो मुफस्सिरिन का इसके बारे में इख्तेलाफ है कि वो कौन था? कुरान ए करीम की अल्फाज से जो मालूम होता है वो इतना ही है की वो कोई इंसान ही था जिसके पास किताबें इलाही का इल्म था। अल्लाह ताला ने करामत और एजाज के तौर पर उसे ये कुदरत दे रखी थी कि पलक झपकते ही वो तख्त ले आया।

फिर सुलैमान अलैहिस्सलाम ने तख्त में तब्दीली का हुक्म दिया। तख्त में तब्दीली का हुक्म सुनकर उसमें से हीरे जवाहर निकाल दिए गए और दूसरी जगहों पर लगा दिए गए ।

सूरह नम्ल आयम 42 और 43 में है। फिर जब वो आ गयी तो उससे कहा गया कि ऐसा ही तेरा भी तख्त है। उसने जवाब दिया की ये गोया वही है। हमे इससे पहले ही फ़िल्म दे दिया गया था। और हम मुसलमान थे उसे उन्होंने रोक रखा था कि जिनकी वो अल्लाह को छोड़कर परस्तिश करती रही थी, यकीनन वो काफिर लोगों में से थी। 
अब सुलैमान अलैहिस्सलाम की मल्लिका ए बिलकिश से गूफ्तगू शुरू हुई फिर वो उसे तख्त के पास ले आए। उससे पूछा क्या तेरा तख्त भी इसी तरह का है? उसने बहुत अच्छा और फसाहत से भरपूर जवाब दिया। उसने ना तो ये कहा की हाँ क्योंकि वो तो अपना तख्त पीछे शबा के इलाके में छोड़ आई थी, यहाँ कैसे आ सकता था? ना उसने ये कहा की ना । क्योंकि ये वही महसूस हो रहा था। अलबत्ता इसमें कदरे तब्दीली महसूस हो रही थी। उसने अजीब जुमले में जवाब दिया। कि ये वो ही लगता है। सुलैमान अलैहिस्सलाम ये जवाब सुनकर हैरान हुए। अब आपने उसे अपनी सल्तनत का गलबा दिखाने के लिए ऐसा मंजर दिखाया जो किसी बशर ने आज तक नहीं देखा। चुनांचे आप उसे एक महल में ले गए, ये मुकम्मल तौर पर शीशे का था। इससे दूसरे तरफ देखा जा सकता था। फर्श भी शीशे का था। शीशे के नीचे पानी छोड़ा गया था। पानी चलता रहता था। आप उसे लिए अंदर दाखिल हुए तो वो बहुत हैरान हुई के महल में पानी बह रहा है। उसने अपना लिबास कुछ ऊपर कर लिया कि भीग ना जाए। उसने अपना पांव पानी पर रखना चाहा तो वो शीशे पर पड़ा और ज्यादा हैरान हुई। और शर्मिंदा भी । के धोखा खा गई और यह सब कुछ जिन्नात के जरिये तैयार कराया गया था।

 सूरह नम्ल आयात 44 में अल्लाह तआला फरमाते हैं। उससे कहा गया कि महल में चली चलो जिसे देखकर ये समझ कर के ये होज है। उसने अपनी पिंडलियां खोल दी। सुलैमान ने कहा। ये ऐसा महल है जिसमें नीचे भी शीशे जड़े हुए हैं। कहने लगी, मेरे परवरदिगार मैंने अपनी जान पर जुल्म किया। अब मैं सुलैमान के साथ अल्लाह रब्बुल आलमीन की फरमाबरदार बनती हूं। 

ये अजीम सल्तनत देख कर वो जान गई कि सुलैमान अलैहिस्सलाम सिर्फ बादशाह ही नहीं। नबी भी है। चुनांचे उसने फौरन इमान कबूल कर लिया। 

हज़रत सुलैमान और मस्जिदें अक्शा का इतिहास 

सुलैमान अलैहिस्सलाम का सबसे बड़ा कारनामा ये है की आपने मस्जिदें अक्शा तामीर करवाई। इसकी पहली तामीर याकूब अलैहिस्सलाम ने कराई थी।

सही हदीस में है कि रसूलल्लाह सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम से पूछा गया। जमीन में कौन सी मस्जिद सबसे पहले तामिर की गयी। आपने फरमाया मस्जिद ए हराम। यानी मक्का मूअजमा वाली मस्जिद। फिर आपसे पूछा गया कि इसके बाद कौन सी मस्जिद जमीन में बनाई गई, आपने जवाब दिया, मस्जिदें अक्शा।

 जब वक्त ए नसर ने उस पर कब्जा जमा लिया तो उसने मस्जिद ए अक्शा ढाह दी। लेकिन फिर सुलैमान अलैहिस्सलाम को अल्लाह तआला ने बादशाहत अता की तो उन्होंने मस्जिद ए अक्शा की तामीर सुरू करा दी। इसके साथ ही उन्होंने हैकल ए सुलैमानी भी तामीर करवाया। यहूदी आज तक इसको मुकद्दस समझते हैं । ये मस्जिदें अक्सा के बिल्कुल करीब है।

मस्जिद ए अक्शा में नमाज की फजीलत। Masjid Al Aqsha me Namaj Ki Fajilat.

मस्जिद ए अक्शा के फजीलत में बहुत सी रिवायत मिलती है जैसा कि रसूलल्लाह सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम का इरशाद है।
 मस्जिद ए हराम में एक नमाज़ का सवाब 1,00,000 नमाज़ों के बराबर है। मस्जिदें नबवी में एक नमाज़ का सवाब 1000 नमाज़ के बराबर है और मस्जिदें अक्शा में 500 नमाज़ों के बराबर सवाब मिलता है। 

हज़रत सुलेमान की दुआ । Hazrat Suleman Ki Dua 

मूशनदे अहमद में अब्दुल्लाह बिन अम्र बिन आश रजिअल्लाहू तआला अनहूमा से रिवायात है की रसूलुल्लाह सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम ने फरमाया। जब सुलैमान अलैहिस्सलाम ने बैतूल मकदश को तामीर किया तो अल्लाह तआला से तीन दुआएं मांगी। उनमें से अल्लाह तआला ने दो कबूल फरमाई और एक के बारे में हम उम्मीद रखते हैं की वो हमें मिलेगी। 

उन्होंने पहला सवाल यह किया कि मुझे ऐसी हुकूमत दे जो तेरी हुकूमत के मुआफिक हो। यानी अदलो इंसाफ की फरावानी हो। और किसी पर जुल्म, ज्यादती ना हो। अल्लाह तआला ने ये दुआ कबूल फरमाई। 
दूसरा सवाल ये किया मुझे ऐसा मुल्क अता फरमाए जो मेरे सिवा किसी शख्स के लायक ना हो? अल्लाह तआला ने ये दुआ भी कबूल फरमा ली। 

तीसरा सवाल ये किया कि जो शख्स भी घर से निकले और वो मस्जिद अक्शा में नमाज़ पढ़ने का इरादा रखता हो तो वो अपने गुनाहों से इस तरह निकल जाये जिस तरह के पैदाईश के दिन था। 

इस तीसरे सवाल के मुतालिक रसूलुल्लाह सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम ने फरमाया उम्मीद है ये दुआ अल्लाह तआला ने हमारे लिए रख ली हो। 

हज़रत सुलैमान अलैहिस्सलाम की वफात। Hazrat Suleman ki Wafat

अल्लाह तआला ने उन्हें इस कदर ताकत और कुदरत अता फरमाई थी, लेकिन इसके बावजूद आप बशर थे। और मौत हर बशर को पहुँचकर रहती है। इंसान जीस कदर भी कुदरत हासिल कर ले। जितना भी गलबा पा ले । जितनी भी आजमत हासिल कर लें, लेकिन मौत से नहीं बच सकता।

अल्लाह तआला ने तो नबी ए करीम सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम के मुतालिक फरमाया है। सूरतूल जुमर आयत 30 में है। बेशक खुद आपको भी मौत का मज़ा चखना है और ये सब भी मरने वाले हैं।

अल्लाह तआला ने चाहा कि सुलैमान अलैहिस्सलाम की मौत से भी लोगों को इबरत हो और निशानियाँ ज़ाहिर है क्योंकि उस दौर में लोग जिन्नात के फितने में मुब्तिला थे। ये ख्याल करते थे कि जिन्नात को गैब का इल्म है। अल्लाह तआला ने चाहा कि लोगों को सुलैमान अलैहिस्सलाम की मौत के जरिये बताए कि जिन्नात को इल्म ए गैब नहीं है। एक दिन सुलैमान अलैहिस्सलाम ने जिन्नात को सख्ती के साथ मुशखर किया और वो आपके सामने काम करने लगे। आप उनकी निगरानी करते रहते । जिन्नात के दिलों में आप का बहुत खौफ था। आप उन्हें सुस्ती करने पर सख्त सजा देती थे, आप खड़े उनकी निगरानी कर रहे थे। उस वक्त आपकी उम्र 150 साल थी। जिन्नात बैतूल मुक़द्दस की तामीर में मशरूफ थे। ऐसे में आपने अपना असाफ पकड़ा और उस पर अपनी हथेलियां टिका दी। फिर हथेलियों पर अपना सर रख दिया। इस तरह उनकी निगरानी करते रहें। इसी हालत में अल्लाह तआला ने आपकी रूह कब्ज़ कर ली । ता हम आपकी आंखें खुली रहीं। उधर जिन्नात मुसलसल काम में लगे रहे । वो यही ख्याल करते रहे कि सुलैमान अलैहिस्सलाम जिंदा है और उन्हें देख रहे है। आपका खलीफा आया तो वो जान गया। आपके इंतकाल कर गए हैं लेकिन उसने भी जिन्नात पर ये बात ज़ाहिर ना की। इस तरह 2 साल गुजर गए । जिन्नात इस कदर निगरानी पर हैरान थे वो देख रहे थे कि 2 साल से सुलैमान अलैहिस्सलाम ने हरकत तक नहीं की। पलक तक नहीं झपकीं। उधर, अल्लाह तआला ने दीमक को सुलैमान अलैहिस्सलाम के अशा पर मुसलत कर दिया। वो अंदर ही अंदर लाठी को खोखला करतें रहे। आखिर लाठी टूट गई। सुलैमान अलैहिस्सलाम जमीन पर गिर गए। उस वक्त जिन्नात को पता चला कि उन्हें फौत हुए तो अरस ए दराज हो चुका है। तब इंसानों को भी मालूम हो गया कि जिन्नात को गैब का इल्म नहीं है। 

अल्लाह तआला सूरह सबा आयत 14 में फरमाते हैं। फिर जब हमने उन पर मौत का हुक्म भेज दिया तो उनकी खबर जिन्नात को किसी ने न दी । सिवाए दीमक के जो उन के असा को खा रहा था। पस जब सुलैमान गिर पड़े तो उस वक्त जिन्नात ने जान लिया कि अगर वो गैब दान होते तो इस जिल्लत के अजाब में मुब्तिला ना रहते। इस तरह अल्लाह तआला ने लोगों को बता दिया कि जिन्नात भी मखलूक है। गैब दान नहीं, अल्लाह तआला ही उन पर कादिर है 

Conclusion -

हमें उम्मीद है कि कुरआन और हदीस की रोशनी में आपको हज़रत सुलैमान अलैहिस्सलाम का ये किस्सा पसन्द आया होगा। अगर आपको ये पोस्ट अच्छा लगा हो तो अपने दोस्तों और परिवार वालों के साथ शेयर जरुर करें। और अगर लिखने में कही कोई ग़लती हो गई हो तो कमेंट बाक्स में उस पैरा ग्राफ को जरूर बताएं। ताकि हम उसे सुधार सके। अल्लाह तबारक व तआला हमें और आपको सीधे रास्ते पर चलने की तौफीक अता फरमाए। आमीन।

FAQ

Q- हज़रत सुलैमान अलैहिस्सलाम के वालिद का नाम क्या है?
A- हज़रत सुलैमान अलैहिस्सलाम के वालिद का नाम हज़रत याकूब अलैहिस्सलाम है।

Q. मस्जिद अल अक्सा किसने बनाया था?
Ans-  हज़रत सुलैमान अलैहिस्सलाम का सबसे बड़ा कारनामा ये है की आपने मस्जिदें अक्शा तामीर करवाई। इसकी पहली तामीर हज़रत याकूब अलैहिस्सलाम ने कराई थी।
Q- मस्जिद ए अक्सा किस देश में हैं?
A- मस्जिद ए अक्शा फिलिस्तीनी के यरूशलेम में है।



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2 Comments
  • Anonymous
    Anonymous April 7, 2024 at 12:49 PM

    Mujhe apka number chahiye please please please

    • Anonymous
      Anonymous April 14, 2024 at 1:27 AM

      Whatsapp Group me join ho jao. Ya niche footers me number likha hai.

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