Hazrat Musa Alaihi Salam Aur Ek Be-Aulad Aurat Ka Waqia in Hind

अस्सलाम अलैकूम व रहमतुल्लाहि व बरकातहू।
आज हम आपके लिए एक मुनफरिद और एक बहुत खूबसूरत वाक्या पेस कर रहे हैं। हम उम्मीद करते हैं आपको इस किस्से को पढ़ के बहुत कुछ सीखने को मिलेगा। ये किस्सा है सय्यदना हजरत मूसा अलैहिस्सलाम और एक बेऔलाद औरत का। अगर ये किस्सा आपकों अच्छा लगे तो दुसरो के साथ भी शेयर करे। ताकि और भी हमारे मुसलमान भाई और बहन ज्यादा से ज्यादा जान सकेंगे। हमारी कोशिश यही है कि हर मुसलमान भाई बहन अपने दीन के बारे मे सब कुछ अच्छे से जान सके। जिनको ऊर्दू अरबी पढ़ना नहीं आता खास कर उनके लिए हिन्दी मे लिखा जा रहा है। ताकि वो मुसलमान भाई बहन भी इस्लाम से जुड़ी हर जानकारी ले सके। और अपने दीन ए इस्लाम को अच्छे से समझ सके। आप लोग हमसे Instagram, Facebook, Telegram को फोलो जरूर करे ताकि हमारी हर अपडेट आपके पास आसानी से पहुंचता रहे।

Hazrat Musa Alaihi Salam Aur Ek Be-Aulad Aurat Ka Waqia in Hind

हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम और एक बे-औलाद औरत का वाक्या ।

सैय्यदना हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम अल्लाह तआला के बहुत ही बहादुर और बरबूजिदा बुजुर्ग हैं। हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम को कलीमुल्लाह का लकब दिया गया। इस लकब की वजह ये थी के आप अलैहिस्सलाम अल्लाह तबारक व तआला से बातें किया करते थे । और बातें करने के लिए एक मखसूस जगह का इंतिखाब किया गया । जिसे कोहे तुर के नाम से जाना जाता है । अल्लाह तबारक व तआला से बात करने का ये शरफ आप के अलावा किसी और के पास नहीं था। हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम मामूल के मुताबिक अल्लाह तबारक व तआला से मुलाकात के लिए कोह ए तुर की तरफ जा रहें थे । के रास्ते में आपको एक औरत नजर आई जो के जारो कतार रो रही थी। सैय्यदना हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम का दिल वैसे ही बहुत नर्म था। तो इस औरत को देखकर आप खुद भी गमगीन हों गए ।

हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम से रहा ना गया और उस औरत से उसकी परेशानी का सबब पूछा। उस औरत ने हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम से रोते हुए बताया कि वो बेऔलाद है, और लोग उसे बे-औलाद होने का ताना देते हैं। उस औरत ने हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम से गुजारिश की कि वो अल्लाह तबारक व तआला से ये दरयाफ़्त करे की उसको कभी औलाद होगी या नहीं। वो औरत जानती थी कि हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम अल्लाह तबारक व तआला से हमकलाम होते हैं। हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम ने उस औरत को यकीन दिलाया कि वो अल्लाह तआला से इस मामले का जिक्र जरूर करेंगे। और इसके बाद आप अलैहिस्सलाम फिर से कोहे तुर की तरफ रवाना हो गए।

अल्लाह तबारक व तआला से मुलाकात के दौरान ही हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम ने उस औरत का माजरा बयान किया तो अल्लाह तआला ने हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम को बताया के उस औरत की किस्मत में यही लिखा है कि उसे कभी औलाद नहीं होगी और उस औरत को चाहिए की उस पर जो आजमाईश आई है, उस पर सब्र करे। हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम ये बात सुनकर बहुत गमगीन हो गए । जब हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम कोहे तुर से वापस लौट कर आ रहें थे तो रास्ते में वो औरत उसी जगह बैठीं हुई मिली । वो औरत हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम का ही इंतजार कर रही थी। आप अलैहिस्सलाम को देखते ही आपके पास आई । हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम ने अल्लाह तबारक व तआला का फैसला सुनाया। औरत ये सुन कर और ज्यादा रोने लगी। हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम ने उस औरत को तसल्ली दी। और ये भी समझाया की अल्लाह तबारक व तआला के हर फैसले मे बेहतरी होती है। और ये भी कहा कि तुम सब्र से काम लो और अल्लाह तबारक व तआला पे भरोसा रखो।

औलाद अल्लाह तबारक व तआला की देन होती है वो जिसे चाहे बेटियां अता फरमाए या जिसे चाहे बेटे और जिसे चाहे दोनों ही अता फरमाए।

दरवेश की दुआ और औरत को औलाद।


इस वाक़या को बहुत अरसा गुजर चुका था। एक दिन उस औरत के घर के करीब ही से एक दरवेश रोटी का सवाल कर रहा था। औरत के कान में जब उस दरवेश की सदा पड़ी तो उसे रुक जाने का कहा और कुछ देर बाद उसके लिए रोटी लेकर आई। फिर दरवेश ने औरत को औलाद अता होने की दुआ दी और ऐसा हुआ कि अल्लाह तबारक व तआला ने उस दरवेश की दुआ कबूल कर ली । और औरत को औलाद की नेमत से नवाज दिया।
जब इस बात की खबर हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम के पास पहुंची तो आप अलैहिस्सलाम बहुत हैरान हुए। क्योंकि अल्लाह तबारक व तआला ने तो उन्हें बताया था कि इस औरत की किस्मत में औलाद का ना होना लिखा है, तो ये कैसे मुमकिन हुआ । फिर जब हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम दोबारा अल्लाह के पास कोह ए तुर पर गए तो उस औरत के मामले के बारे में भी दरियाफ्त किया कि जब मैंने आपसे पूछा था कि उस औरत की औलाद होगी या नहीं तो ऐ मेरे परवरदिगार, आपने फरमाया था कि उस औरत के मुकद्दर में औलाद है ही नहीं , तो ये कैसे मुमकिन हुआ।

हज़रत मूसा का कोह ए तुर पर अल्लाह तआला से मुलाकात।


अल्लाह तबारक व तआला ने हजरत मूसा अलैहिस्सलाम के सामने एक शर्त रखी। आप अलैहिस्सलाम को इंसान का गोस्त लाने का कहा । जब अल्लाह तबारक व तआला अम्बिया ए कराम को किसी चीज़ का हुक्म दिया करते थे, तो कोई भी अल्लाह तबारक व तआला से सवाल नहीं करता था। इसलिए सैय्यदना हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम ने भी अल्लाह रब्बुल इज्जत की इस शर्त पर कोई सवाल नही किया। और अपनी बस्ती में जाकर लोगों को अल्लाह का हुक्म सुनाया। बस्ती के लोगों को अल्लाह तबारक व तआला का हुक्म बहुत अजीब लगा और सबके दिलों में खौफ बैठ गया कि कहीं यहा खुनरेजी ना होने लगे । जब कोई भी अपना गोश्त देने पर राजी नहीं हुआ। तो हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम सलाम मायूस होकर अल्लाह तबारक व तआला के पास वापस कोह ए तुर पर जाने लगे। 

हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम का दरवेश से मुलाकात।

सैय्यदना हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम कोह ए तुर की तरफ जा ही रहे थे कि रास्ते में उनको एक दरवेश बैठा नजर आया। उस दरवेश की आंखें बंद थी और चेहरा आसमान की तरफ उठा हुआ था। उस दरवेश की जुबान पर बस अल्लाह अल्लाह का कलमा जारी था। हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम उस दरवेश के पास गए। और उसे अल्लाह तबारक व तआला का हुक्म सुनाया। उस दरवेश ने आंखें खोलकर आपकी तरफ देखा और अपना बाजू हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम के आगे कर दिया और कहा कि मैं हाजिर हूं। उस दरवेश ने हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम से छुरी ली और अपने बाज़ू से गोश्त काट कर प्लेट में रख दिया,

फिर आप अलैहिस्सलाम अपनी मंजिल की तरफ रवाना हो गए। आप अलैहिस्सलाम अभी कुछ दूर ही गए थे कि उस दरवेश ने आपको पुकारा और कहा कि हो सकता है कि अल्लाह तबारक व तआला ने गर्दन का गोस्त मांगा हो फिर उस दरवेश ने अपने गर्दन का गोस्त काट कर आप अलैहिस्सलाम की प्लेट में रख दिया। हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम ने फिर से कोहे तुर की तरफ क़दम बढ़ा दिया। उस दरवेश ने आपको फिर से रोक लिया और कहा कि हो सकता है अल्लाह तबारक व तआला ने सीने का गोस्त कहा हो, और फिर उसने अपने सीने का भी गोस्त काट कर प्लेट में रख दिया। इसके बाद उसने अपने जिस्म के मुख्तलिफ हिस्सों का गोश्त काट कर प्लेट में रखा । हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम ने उस गोस्त से भरीं प्लेट को कोह ए तुर पर अल्लाह तबारक व तआला के सामने पेश किया। 

अल्लाह तबारक व तआला ने हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम से पूछा कि ये गोस्त किस से लाए हो। तो हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम ने सारा किस्सा बयान कर दिया ।
अल्लाह तबारक व तआला ने फरमाया ऐ मूसा ये मेरे बंदे का मुझसे इश्क़ है और इस इश्क की हद देखो के उसने अपने तकलीफ का नहीं सोचा बल्कि मेरी रजा और खुशी की खातिर आपने जिस्म का गोस्त काट कर तुम्हारे सामने रख दिया। ऐ मूसा अब मुझे तुम खुद बताओ, कि जो मेरा बंदा मुझसे इश्क़ में खुद से भी बेपरवाह है कि जब वह मुझसे कोई सवाल करे तो मैं उसकी दुआ क्यों न क़बूल करुंगा । ऐ मूसा ये मेरा वही बन्दा है जिसने मुझसे उस औरत के हवाले से सवाल किया था । मेरे इस नेक बंदी ने ही उस औरत के लिए मुझसे दुआ की थी। तों भला मैं कैसे उसकी हाजत पूरी नहीं करता। यही वजह है कि मैंने उसकी तकदीर में लिखे को पलट दिया। जो बंदे मेरी खातिर अपने आप को कुर्बान करने के लिए राजी हो जातें है तो मैं उनकी बात को कैसे रद्द कर सकता हूं? मूसा अलैहिस्सलाम अल्लाह की ये बात सुनकर बहुत हैरान और खुश हुएं।

सबक


इस छोटे से किस्से से हमें ये सबक मिलता है कि अल्लाह तबारक व तआला ने जो भी हमें जिंदगी में आता कर रखा है, उसकी शुक्रगुजारी करनी चाहिए । और दूसरों की मदद में पेश पेश रहना चाहिए है। आपको नहीं पता होता कि कौन सा अमल अल्लाह तबारक व तआला को पसंद आ जाये। और आपका काम हो जाएं। और जब भी अल्लाह तबारक व तआला के लिए कुर्बानी देने का मौका मिले तो अपनी जान भी देने से गुरेज ना करे।


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"जजाकल्लाहू खैरून कसिरा"
अल्लाह हम सब का हामी व नासिर हो।

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