Hazrat Yunus Alaihis Salam Ka Waqia in Hindi । हज़रत यूनुस अलैहिस्सलाम का वाक्या |

अस्सलाम अलैकूम व रहमतुल्लाहि व बरकातहू। आज हम कुरआन हदीस की रोशनी में सय्यदना हज़रत यूनुस अलैहिस्सलाम का वाक्या लिख रहे हैं। जिसे पढ़ कर आप लोग सय्यदना हज़रत यूनुस अलैहिस्सलाम और उनके कौम के बारे में आसानी से जान सकेंगे। अगर इस किस्से को लिखने में हमसे कोई ग़लती हुई हो तो हमें कमेंट कर सकते हैं। वैसे भी हमने लिखने मे कोई ग़लती की गुंजाइश नहीं छोड़ी है। तो आइए जानते हैं सय्यदना हज़रत यूनुस अलैहिस्सलाम के बारे में। 

Hazrat Yunus Alaihis Salam Ka Waqia in Hindi । हज़रत यूनुस अलैहिस्सलाम का वाक्या |

Hazrat Yunus Alaihis Salam Ka Waqia in Hindi

Hazrat Yunus Alaihis Salam । हज़रत यूनुस अलैहिस्सलाम।

सय्यदना हजरत यूनुस अलैहि सलाम एक अजीम और करीम नबी थे। इनका किस्सा कुरआन ए करीम मे एक अनोखा किस्सा है। आपके वालिद का नाम मत्ता था और आप सय्यदना इब्राहिम अलैहिस्सलाम की नस्ल से थे। आपका एक नाम जोनूह भी है यानी मछली वाले, इसी तरह आपको सहिबुल हुद भी कहा जाता है, अल्लाह तआला ने आपको इन सब नामों से पुकारा हैं। अल्लाह तआला ने हज़रत यूनुस अलैहिस्सलाम को नीनवा बस्ती की तरफ रसूल बना कर भेजा ।
कुरआन ए मजीद मे अल्लाह तआला सूरह शाफात आयत नंबर 139 मे फरमाते हैं। " और बेशक यूनुस रसूलो में से थे"

Nineveh City Deen Ki Dawat । नीनवा बस्ती में दीन की दावत।

नीनवा बस्ती की आबादी लगभग 1 लाख 20 हजार थी। और यहा के सारे के सारे लोग कुफ्र पे थे। यूनुस अलैहिस्सलाम उन्हें साल दर साल दावत देते रहे लेकिन वो अपने कुफ्र पर ही डटे रहे। फिर उन्होने ने सय्यदना हज़रत यूनुस अलैहिस्सलाम पर ज़ुल्मो सितम सुरू कर दिया। उन्हें धमकियां दी, मसाईबो अलाम से दो चार किया। मतलब ये कि जीस तरह दूसरे अम्बिया कराम के साथ किया गया। इनके साथ भी वही सलूक हुआ। आखिर आपने अपने कौम को अल्लाह के आजाब से आगाह करते हुए ऐलान फरमा दिया। के फुला दिन तुम पर अजाब जाएगा। फिर खुद गुस्से की हालत में उस बत्ती से निकल गए, जबकि अल्लाह तआला ने उन्हें मुताईयन दिन की मोहलत देने की इजाजत तो दी थी, लेकिन इस बस्ती से निकल जाने का हुक्म नहीं दिया था। जब आपने उन्हें ये मोहलत सुनाई तो खुद गुस्से की हालत में बस्ती से निकले और समंदर की तरफ चल दिए।

Quran । क़ुरआन 
सूरह अंबिया आयत 87 में अल्लाह तआला फरमाते हैं। " मछली वाले को याद करो जब के वो गुस्से से चल दिया और ख्याल किया कि हम उसे न पकड़ सकेंगे।"

Yunus Alaihis Salam Ki Koum Par Azab । यूनुस अलैहिस्सलाम की कौम पर आजाब।

उन्हीं दिनों में आजाब ए इलाही के कुछ आलामात नीनवा बस्ती पर जाहीर होना शुरू हो गए। एक बहुत बड़ा श्याह ( काला) बादल उनकी तरफ बढ़ने लगा। इस बादल में आग के शोले दिखाई देने लगे। उन लोगों ने ये बादल उन मुताईयन दिनों में से पहले ही दिन देख लिया । उसको देखते ही वो समझ गए कि जिस तरह सय्यदना यूनुस अलैहिस्सलाम ने उन्हें आगाह किया था। ये आजाब उन पर नाज़िल होकर रहेगा । और जो आजाब सय्यदना लूत अलैहिस्सलाम की कौम पर आया था, वो उसके बारे में भी अच्छी तरह जानते थे। वो बस्ती उनकी बस्ती के करीब ही थी इसलिए वो डर गए। उनके सरदार जमा हुए और कहने लगे जैसे तुम से पहले लोगों पर आजाब उतरा करते थे, तुम पर भी ये नाज़िल होकर रहेगा, जल्दी करो सब जमा हो जाओ चुनांचे उन्होंने इस बात पर इत्तेफ़ाक कर लिया। की सय्यदना यूनुस अलैहिस्सलाम ने बिल्कुल सच फरमाया था। अल्लाह की कसम ये बिल्कुल वही आजाब है । तुम अल्लाह की आजाब से निजात नहीं पा सकोगे। 

Hazrat Yunus Alaihis Salam Ki Koum Ka Iman Lana । हज़रत यूनुस अलैहिस्सलाम की कौम का ईमान लाना।

बस्ती पर अजाब की अलामत देख सब परेशान हो गए। और उनके सरदार कहने लगे। इससे बचने की एक ही सुरत हैं कि तुम ईमान ले आओ और तौबा कर लो। इस तरह वो सब के सब ईमान ले आए लेकिन हज़रत सय्यदना यूनुस अलैहिस्सलाम वहा मौजूद नहीं थे। उनकी अदम मौजूदगी में ये सब के सब यानी 1,20,000 अफराद ईमान ले आये, उन्होंने पैबंद लगे कपड़े पहने । और अल्लाह के हुजूर आजिज़ी इंकसारी और आहोजारी शुरू कर दी। रोने लगे, अल्लाह से बख्शीश मांगने लगे। फिर इसी हालत ए जार में बाहर खुले मैदान की तरफ निकल आये। इनके सरदारों ने सबको अलग अलग कर दिया। यहा तक के माँ और बेटे को भी जुदा कर दिया सब अपनी अपनी जगह पर यानी माँ अपनी जगह पर और बेटा अपनी जगह पर आहोजारी करने लगे । ताकि उन पर रहमत नाज़िल हो जाये, ये आजाब 3 दिनो तक उनके सरों पर मडराता रहा । और ये लोग भी मुसलसल आहोंजारी करते रहेंगे। अपनी आजिज़ी जाहिर करते रहे । माफिया मांगते रहे। आखिरकार अल्लाह ताला ने उन पर रहमो करम फरमा दिया और आजाब को उनसे फेर दिया।

Hazrat Yunus Alaihis Salam Aur Machli Ka Waqia । हज़रत यूनुस अलैहिस्सलाम और मछली का वाक्या।

आपके गुस्से की हालत में बस्ती से निकलकर समंदर की तरफ चले आए थे। आप एक रिश्ते की तरफ आये। उसमें सवारियां और साजो सामान लदा हुआ था।

अल्लाह तआला सूरह शाफात आयत 140 मे फरमाते हैं। जब वो भागकर भरी कश्ती पर पहुंचे, कश्ती रवाना हुई। मौजे उठीं, समुद्र में तोगयानी आई, यू लगता था की बस अभी गर्ग हुए । कहने लगे बोझ हल्का करो । अपना साजो सामान समंदर में फेंक दो। चुनांचे उन्होंने अपना अपना साजो सामान समुद्र में फेंक दिया। इस तरह कस्ती कुछ हल्की हो गयी । लेकिन जरूरत के मुताबिक हल्की ना हो सकी। अब वो कहने लगे किसी को समुद्र में गिराना जरूरी है ताकि कश्ती मजीद हल्की हो जाए वरना ये डूब जाएगी। जल्दी करो, कुरा डालो जिसके नाम का कुरा निकलता जाये उसे समुद्र में गिराते जाओ और बार बार ये अमल दुहराते जाओ। यहा तक की कश्ती हल्की हो जाए । चुनांचे कुरा डाला गया। सबसे पहले सय्यदना हज़रत यूनुस अलैहिस्सलाम का नाम निकला । सब कहने लगे नहीं । ये तो ऐसे नहीं हैं ।इनके चेहरे पर तो सजदो के निशानात हैं, इन्हें रहने दो । फिर कुरा डालो । फिर कुरा डाला गया। फिर इन्हीं का नाम निकला । सब ने ताज्जुब किया। तीसरी मर्तबा फिर कुरा डाला गया। इस बार फिर यूनुस अलैहिस्सलाम का नाम निकला।

अल्लाह तआला सूरह शाफात आयत 141 में फरमाते हैं। फिर कुराअंदाज़ी हुई तो ये मगलूब हो गए। हर बार इन्हीं का नाम निकला। आखिरकार उन लोगों ने इन्हें पकड़ कर समुन्द्र में गिरा दिया। तो फिर उन्हें मछली ने निगल लिया। हुद बड़ी मछली को कहते हैं । अल्लाह तआला ने हुद को इलकान फरमाया इन्हें खाना नहीं ना इनके जिस्म को कोई गजन पहुंचे। लिहाजा यूनुस अलैहिस्सलाम मछली के पेट में थे अल्लाह की कुदरत आप मछली के पेट में 3 दिन तक रहे। बाज रिवायात में 7 दिन और ज्यादा से ज्यादा मुद्दत 40 रोज़ आयी है। आपने मछली के पेट में अल्लाह तआला को पुकारा। 

Quran । कुरआन
अल्लाह तआला सूरतुल अंबिया आयत 87 में फरमाते हैं।
"आखिरकार वो अंधेरों के अंदर से पुकार उठे।" 
उलेमा ने यहां तीन अंधेरो का जिक्र किया है। मछली के पेट का अंधेरा, समुन्दर का अंधेरा और रात का अंधेरा। गोया उन पर ये सारे अंधेरे इकट्ठे हो गए थे ।

Quran । कुरआन 
अल्लाह तआला सूरह शाफात आयत 143 और 144 मे फरमाते हैं । "पस अगर ये पाकी बयान करने वालों में से ना होते‌ तो लोगों के उठाए जाने के दिन तक उसके पेट ही मे रहते।"

मतलब ये कि अगर आप अल्लाह तबारक व ताला की तस्वीह ब्यान ना करते । तो मछली के पेट ही में रहते । आपने दुआ नहीं मांगी बल्कि अल्लाह अज्जवजल की तस्वीह बयान की। रिवायत में यू भी आता है कि जब मछली आपको समुन्दर की अथाह गहराई मे ले गई तो आप वहा आबी मखलुकात की तस्वीहात की आवाजें सुनने लगे। गोया अल्लाह तआला ने उन्हें इलका फरमाया की आप भी तस्बीह करे।

Yunus Alaihis Salam Ki Dua in Hindi । हज़रत यूनुस अलैहिस्सलाम की दुआ 

अल्लाह ताला सूरतुल अंबिया आयत 87 में फरमाते है।
"बिल आखिर वो अंधेरों के अंदर से पुकार उठा, इलाही तेरे सिवा कोई माबूद नहीं है। तु पाक हैं। बेशक मैं जालिमों में हो गया।"

*ला इलाहा इल्ला अंता सुब्हानका इन्नी कुन्तु मिनज़्ज़ालिमीन*

चुनांचे यूनुस अलैहिस्सलाम ने इस तस्वीह के अल्फाज़ को यु अदा पर फरमाया । इमाम अहमद, इमाम त्रिमिजी, इमाम नसाई और दीगर आईमा रहमहिमुल्लाह ने ये हदीस नकल की है‌‌ कि यूनुस अलैहिस्सलाम की वो दुआ जो उन्होंने मछली के पेट में मांगी थी । वो यही दुआ है । जो भी मुसलमान ये दुआ अपनी किसी हाजत में मांगेगा। अल्लाह ताला उसकी दुआ जरूर कबूल फरमाएगा। ये दुआएं मुस्तजाब है। मकबूल दुआओं में से हैं। इसी दुआ के बाद अल्लाह तआला ने यूनुस अली सलाम को उस परेशानी से निजात अता फ़रमाई।
Quran  । क़ुरआन।
अल्लाह तआला सूरतूल अम्बिया आयत 88 में फरमाते हैं । "तो हमने उसकी पुकार सुन ली। और उसे गम से नजात दे दी और हम ईमान वालों को इसी तरह बचा लिया करते हैं । "

Hadis । हदीस।

एक सहाबी ने नबी करीम सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम से पूछा, ऐ अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम यूनुस अलैहिस्सलाम ने जो दुआ मछली के पेट में मांगी, क्या वो सिर्फ उन्हीं के लिए थी या उनके बाद अहले ईमान के लिए भी है? तो आपने फरमाया ये दुआ यूनुस अलैहिस्सलाम के लिए खास थी और सब अहले ईमान के लिए आम है। क्या तुमने अल्लाह तआला का ये फरमान नहीं सुना? और हम ईमान वालों को इसी तरह बचा लिया करते हैं। जो भी इस दुआ को पढ़ेगा, अल्लाह उसे रंजो गम से नजात देंगे। एक कॉल के मुताबिक तकरीबन 40 रोज़ आपकी सबो रोज यही दुआ रही। इस मुद्दत के खत्म होने पर अल्लाह तआला ने आपकी दुआ को कबूलियत बख़्शी। मछली साहिल पर पहुंची, उन्हें किनारे पर डाला और वापस चली गयी।


इस बात को अल्लाह तआला ने सूरतूल शाफात 145 में यू बयान फ़रमाया है। पस उसे हमने चटियल मैदान में डाल दिया । और वो उस वक्त बीमार थे। आप वहा इसी तरह लेटे रहे। फिर अल्लाह की कुदरत से आप के करीब एक बेलदार दरख़्त उगा।
जैसा कि सूरतूल शाफात आयत 146 मे है। "और उस पर साया करने वाला एक बेलदार दरख़्त हमने उगा दिया।"

इस कद्दू के दरख़्त के मुतालिक मोआरखिन का कहना है की अल्लाह तआला ने इस दरख़्त का इंतखाब इसलिए फरमाया था कि इस दरख़्त के पत्ते चौड़े होते हैं। उनके साये में उन्हें ढांप दिया गया ताकि हवा से अजियत ना पहुंचे । इसलिए कि उनके जिस्म से जिल्द उतर गयी थी । फिर इस दरख़्त से अच्छी खुशबू भी आती थी। फिर कद्दू की खुशबू में एक खुसूसियत ये थी कि हसरातूल अर्श को दूर रखती हैं।
अल्लाह तआला ने इन्हीं खुसूसियात की वजह से इस बेलदार दरख़्त का इंतखाब फरमाया था । ताकि आप हर तरह की तकलीफ से महफूज रहें। ये अल्लाह की कुदरत। सुबहान अल्लाह। इसी तरह मुफ्सिरीन ये भी कहते हैं कि अल्लाह तआला ने उनके पास एक पहाड़ी बकरी भेज दी। वो आपके गरीब आती और आपके सिर के ऊपर अपनी टांगें फैलाए खड़ी हो जाती। इस तरह उसके थन आप के मुँह में चले आते । और आप उनसे ख्वाहिश के मुताबिक दुध पीते। ये था आपका खाना और पीना ‌। रफ्ता रफ्ता आपकी हालत बेहतर हो गयी। तावाना और तंदुरुस्त हो गए । फिर आप उठने के काबिल हो गए। और ये सब अल्लाह तआला के मेहरबानी से हुआ। जब आपकी सेहत लौट आई तो अल्लाह तआला ने आपको फिर आपकी क़ौम की तरफ भेजा । जैसा की सूरतूल शाफात तो आयत 148 में है । और हमने उसे एक लाख बल्कि और ज्यादा आदमियों की तरफ भेजा । पस वो ईमान ले आये और हमने उन्हें एक जमाने तक ऐशो इशरत दी । वो सब के सब आप पर ईमान ले आये थे।

अल्लाह तआला ने इस क़िस्से के जरिये नबी करीम सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम को इशारा फ़रमाया है की दावत देते हुए उकताना नहीं,

अल्लाह तआला सूरतूल कलम आयत 48 में फरमाते। "और मछली वाले की तरह ना हो जाईये । इन लोगों को दावत ए हक देते रहिए। देखिये वो साल दर साल दावत देते रहे लेकिन उकताए नहीं । उनसे मायूस नहीं हुए। उनकी पूरी बस्ती में से एक भी उन पर ईमान नहीं लाया था, लेकिन जब उनसे मायूस हो गए तो उन्हें अल्लाह के आजाब से आगाह कर दिया और मुंह फेरकर चल दिए। तो वो सब के सब ईमान ले आए।

Quran । कुरआन।
अल्लाह तआला सूरतूल कशश आयत 56 में फरमाते हैं। आप जिसे चाहे हिदायत नहीं दे सकते बल्कि अल्लाह तआला ही जिसे चाहता है हिदायत देता है।


Sabaq । सबक ।

इस किस्से में बहुत बड़ा सबक है । कि किसी भी हालत में अल्लाह की रहमत से मायूस नहीं होना चाहिए और ना हिदायत के मामले में अपनी जात पर भरोसा करना चाहिए। हिदायत तो बस सिर्फ अल्लाह तआला ही की तरफ से है । आपके जिम्मे तो पैगाम ए हक पहुंचा देना है। अल्लाह तआला के जिम्में हिदायत से नवाजना है । अल्लाह तआला ने उन्हें पाक साफ बना दिया। उन्हें चुन लिया ।

अल्लाह खुद ही सूरतूल कलम आयत 50 में वजाहत फ़रमाते हैं। "उसे उसके रब ने फिर नवाजा और उसे नेक लोगों में कर दिया।"

Hadis ‌। हदीस । ‌‌

इमाम मुस्लिम ने एक हदीस रिवायत की है कि नबी करीम सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम ने फरमाया । तुम में से कोई शख्स हरगिज ये ना कहे की मैं । यानी मोहम्मद ( सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम ) यूनुस बिन मत्तार से बेहतर हूं। यानी यूं ना कहे कि मैं सय्यदना यूनुस अलैहिस्सलाम से अफजल हूं। वो इस तरह के वो तो अपनी कौम की ईमान लाने से मायूस हो गए थे और मैं मायूस नहीं हूं । इस तरह बिल्कुल ना कहे। क्योंकि बिल आखिर अल्लाह तआला ने आप को चुन लिया और बर्बुजीदा बना लिया , और सालेहीन में दाखिल कर लिया। इस वाकया में नबी करीम सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम को जो हिदायत दी गई है उसका जिक्र सूरतूल कलम आयत 41 मे आता है। " "पस तु अपने रब के हुक्म का सब्र से इंतजार कर और मछली वाले की तरह ना हो जा"।

मतलब ये की यूनुस अलैहिस्सलाम के मानिंद ना हो जाइये जो अपनी कौम के ईमान न लाने से मायूस हो गए थे। यकीनन दीन की दावत और हक के प्रचार में ये बहुत अजीम सबक है, ये दायी ईल्लल्लाह को कभी मायूस नहीं होना चाहिए ।

ये था सय्यदना हज़रत यूनुस अलैहिस्सलाम का किस्सा। अगर आपकों ये किस्सा पसंद आएं तो सदक़-ए-जारिया की नियत से ज़्यादा से ज़्यादा लोग शेयर करें ।

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