Dr. APJ Abdul Kalam 94th Birth Anniversary 2025: एक मुस्लिम वैज्ञानिक जिसने पूरे भारत को सपनों की उड़ान दी
15 अक्टूबर 2025 को भारत के पूर्व राष्ट्रपति और महान वैज्ञानिक डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम की 94वीं जयंती पूरे देश में श्रद्धा और सम्मान के साथ मनाई जा रही है। उन्हें लोग “मिसाइल मैन” के नाम से जानते हैं, लेकिन असल में वे सिर्फ एक वैज्ञानिक नहीं, बल्कि एक प्रेरणा, शिक्षक और इंसानियत का प्रतीक थे।
🌿 बचपन से महानता की ओर
डॉ. अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को तमिलनाडु के रामेश्वरम में हुआ। एक सामान्य परिवार में जन्मे कलाम साहब ने अपने जीवन की शुरुआत संघर्ष से की। वे स्कूल जाने से पहले अख़बार बाँटते थे ताकि घर की मदद कर सकें। लेकिन उनके सपने आसमान से भी बड़े थे।
उन्होंने मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की और आगे चलकर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) से जुड़ गए। वहीं से उनकी ‘मिसाइल मैन’ बनने की यात्रा शुरू हुई।
🚀 मिसाइल मैन बनने की कहानी
डॉ. कलाम ने भारत को मिसाइल और स्पेस टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में नई ऊँचाइयों तक पहुँचाया। उन्होंने “इंटीग्रेटेड गाइडेड मिसाइल डेवलपमेंट प्रोग्राम” का नेतृत्व किया, जिसके तहत अग्नि और पृथ्वी जैसी मिसाइलें बनीं।
उनकी मेहनत, नेतृत्व और समर्पण ने भारत को एक आत्मनिर्भर रक्षा शक्ति बनाया। इसी कारण उन्हें “भारत रत्न” से सम्मानित किया गया — जो देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान है।
📘 शिक्षक, लेखक और प्रेरणास्रोत
वैज्ञानिक होने के साथ-साथ कलाम साहब एक बेहतरीन लेखक और शिक्षक भी थे। उनकी किताबें जैसे “Wings of Fire”, “Ignited Minds” और “India 2020” ने लाखों युवाओं को प्रेरित किया।
उनका मानना था कि “सपना वो नहीं जो आप नींद में देखें, बल्कि सपना वो है जो आपको सोने न दे।” यही सोच आज भी हर युवा को अपने जीवन में कुछ बड़ा करने की प्रेरणा देती है।
🕌 इस्लामी नजरिए से डॉ. कलाम
डॉ. कलाम एक सच्चे मुस्लिम थे जिन्होंने कुरआन और विज्ञान दोनों को एक साथ समझा। वे कहा करते थे कि “कुरआन इंसान को सोचने और ज्ञान प्राप्त करने की शिक्षा देता है।”
उनकी ज़िंदगी में विनम्रता, सादगी और दुआ का गहरा असर था। वे रोज़ नमाज़ पढ़ते थे, और विज्ञान को भी अल्लाह की बनाई सृष्टि को समझने का ज़रिया मानते थे।
उनकी सोच ने इस्लाम की उस असली तस्वीर को दुनिया के सामने रखा जिसमें शिक्षा, अमन और इंसानियत की बात की जाती है।
💫 राष्ट्रपति के रूप में ‘जनता के राष्ट्रपति’
2002 में जब वे भारत के राष्ट्रपति बने, तब लोगों ने उन्हें “People’s President” कहा। उनका सादा जीवन, ईमानदारी और युवा पीढ़ी के प्रति लगाव हर भारतीय के दिल में जगह बना गया।
राष्ट्रपति भवन में रहते हुए भी उन्होंने अपनी सादगी नहीं छोड़ी। वे बच्चों से मिलते, उनके सपनों को सुनते, और कहते — “अगर तुम सूरज की तरह चमकना चाहते हो, तो पहले सूरज की तरह जलना सीखो।”
🌍 शिक्षा ही सबसे बड़ा हथियार
डॉ. कलाम हमेशा मानते थे कि शिक्षा किसी भी राष्ट्र की सबसे बड़ी ताकत है। उन्होंने भारत के हर स्कूल और कॉलेज में जाकर युवाओं से संवाद किया। उनका कहना था — “शिक्षा आपको सिर्फ नौकरी नहीं, बल्कि जीवन का मकसद देती है।”
आज जब हम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, स्पेस साइंस और इनोवेशन की बात करते हैं, तो डॉ. कलाम के विचार पहले से कहीं ज़्यादा प्रासंगिक हैं।
🕊️ अंतिम क्षणों में भी शिक्षा के साथ
27 जुलाई 2015 को जब वे इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट, शिलॉंग में लेक्चर दे रहे थे, तभी उनका निधन हुआ। वे “सीधे शिक्षा देते हुए अल्लाह के पास लौट गए।”
उनका जाना पूरे देश के लिए एक गहरा दुख था, लेकिन उनके विचार और उनकी मुस्कान आज भी हर दिल में ज़िंदा हैं।
🌺 निष्कर्ष: एक मिसाल जो हमेशा जिंदा रहेगी
डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम की 94वीं जयंती हमें याद दिलाती है कि इंसानियत, मेहनत और ईमानदारी सबसे बड़ा धर्म है।
उनका जीवन संदेश देता है — “धर्म, जाति या मज़हब से ऊपर उठकर इंसान बनो। सपने देखो, मेहनत करो और देश के लिए जियो।”
अल्लाह डॉ. कलाम को जन्नतुल फिरदौस में जगह दे और हमें उनके नक्शे-कदम पर चलने की तौफ़ीक़ दे। आमीन।