Hazrat Muhammad S. A. W. Ka Akhri Khutba In Hindi - हज़रत मुहम्मद स०अ०व० का आखिरी ख़ुत्बा।

Hazrat Muhammad S. A. W. Ka Akhri Khutba In Hindi
दोस्तों अस्सलाम अलैकूम। दोस्तों! हज़रत मुहम्मद ﷺ का आखिरी हज का खुत्बा, जिसे "वदा' खुत्बा" या "खुत्बतुल विदा" भी कहा जाता है, आपने ये ख़ुत्बा अपने आखिरी हज के मौके पर दिया था। यह खुत्बा आप सल्ललाहू अलैहि वसल्लम ने 10 जिल्हजा 10 हिजरी (ज़िल हिज्जा की 9 वीं तारीख) दिया था। इस ख़ुत्बे में आप सल्ललाहू अलैहि वसल्लम ने इस्लाम के मुल्य सिध्दांतों, नैतिकता, सामाजिक और राजनीतिक मामलों, सामाजिक संबंधों, महिला-पुरुष समानता, और भाईचारे की महत्वपूर्ण बातें बताई। आप सल्ललाहू अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया। ऐ लोगो मेरी बातों को गंभीरता से सुनो, क्योंकि मैं नहीं जानता कि इस साल के बाद मैं कभी फिर तुम में मौजूद होऊँगा या नहीं। इसलिए, ध्यान से सुनो कि मैं क्या कह रहा हूँ। और इन शब्दों को उन लोगों तक पहुँचा दो जो आज यहाँ मौजूद नहीं हो सके हैं। 
ये भी पढ़ें:- हज़रत मुहम्मद स०अ०व० का एक वाक्या 

Hazrat Muhammad S. A. W.  Ka Akhri Khutba In Hindi - हज़रत मुहम्मद स०अ०व० का आखिरी ख़ुत्बा।

Hazrat Muhammad S. A. W.  Ka Akhri Khutba In Hindi - हज़रत मुहम्मद स०अ०व० का आखिरी ख़ुत्बा।

हज़रत मुहम्मद ﷺ का आखिरी हज का खुत्बा आसान हिन्दी में।

मैदान-ए-अराफ़ात (मक्का) में 9 ज़िल्हिज्ज् ,10 हिजरी को मोहम्मद सल.अलैहि वसल्लम ने हज का आखरी ख़ुत्बा दिया था। बहुत अहम संदेश दिया था। गौर से पढे हर बात बार बार पढे़ सोचे कि कितना अहम संदेश दिया था

1. ऐ लोगो ! सुनो, मुझे नही लगता के अगले साल मैं तुम्हारे दरमियान मौजूद हूंगा, मेरी बातों को बहुत गौर से सुनो, और इनको उन लोगों तक पहुंचाओ जो यहां नही पहुंच सके।

2. ऐ लोगों ! जिस तरह ये आज का दिन ये महीना और ये जगह इज़्ज़त ओ हुरमत वाले हैं, बिल्कुल उसी तरह दूसरे मुसलमानो की ज़िंदगी, इज़्ज़त और माल हुरमत वाले हैं। ( तुम उसको छेड़ नही सकते )


3. लोगों के माल और अमानतें उनको वापस कर दो।

4. किसी को तंग न करो, किसी का नुकसान न करो, ताकि तुम भी महफूज़ रहो।


5. याद रखो, तुम्हे अल्लाह से मिलना है, और अल्लाह तुम से तुम्हारे आमाल के बारे में सवाल करेगा।

6. अल्लाह ने सूद(ब्याज) को खत्म कर दिया, इसलिए आज से सारा सूद खत्म कर दो। (माफ कर दो )


7. तुम औरतों पर हक़ रखते हो, और वो तुम पर हक़ रखती है, जब वो अपने हुक़ूक़ पूरे कर रही हैं तो तुम भी उनकी सारी ज़िम्मेदारियाँ पूरी करो।

8. औरतों के बारे में नरमी का रवय्या अख्तियार करो, क्योंकि वो तुम्हारी शराकत दार और बेलौस खिदमत गुज़ार रहती हैं।


9. कभी ज़िना के करीब भी मत जाना

10. ऐ लोगों !! मेरी बात ग़ौर से सुनो, सिर्फ अल्लाह की इबादत करो, 5 फ़र्ज़ नमाज़ें पूरी रखो, रमज़ान के रोज़े रखो, और ज़कात अदा करते रहो, अगर इस्तेताअत हो तो हज करो।


11. हर मुसलमान दूसरे मुसलमान का भाई है। तुम सब अल्लाह की नज़र में बराबर हो। बरतरी सिर्फ तक़वे की वजह से है।

12. याद रखो ! तुम सब को एक दिन अल्लाह के सामने अपने आमाल की जवाबदेही के लिए हाज़िर होना है, खबरदार रहो ! मेरे बाद गुमराह न हो जाना।


13.याद रखना ! मेरे बाद कोई नबी नही आने वाला, न कोई नया दीन लाया जाएगा, मेरी बातें अच्छी तरह समझ लो।

14. मैं तुम्हारे लिए दो चीजें छोड़ के जा रहा हूँ, क़ुरआन और मेरी सुन्नत, अगर तुमने उनकी पैरवी की तो कभी गुमराह नही होंगे।


15. सुनो ! तुम लोग जो मौजूद हो, इस बात को अगले लोगों तक पहुंचाना, और वो फिर अगले लोगों तक पहुंचाए। और ये मुमकिन है के बाद वाले मेरी बात को पहले वालों से ज़्यादा बेहतर समझ ( और अमल ) कर सके।
फिर आपने आसमान की तरफ चेहरा उठाया और कहा

16.ऐ अल्लाह ! गवाह रहना, मैंने तेरा पैग़ाम तेरे बंदों तक पहुंचा दिया।


हम पर भी फ़र्ज़ है इस पैगाम को सुने,समझे, अमल करें।

Conclusion

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1 Comments
  • Anonymous
    Anonymous May 1, 2024 at 3:20 AM

    MasaAllah

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